गयाः बिहार में मानसून के पहले एईएस(चमकी बुखार) कहर बरपाने लगती है. बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद गया जापानी बुखार का दूसरा सबसे बड़ा क्लस्टर है. जिले में जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) और अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रॉम(एईएस ) से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है.
एईएस से कई बच्चों की मौत
मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. मुजफ्फरपुर में एईएस का कहर शुरू हो गया है. इस साल भी एईएस से कई बच्चों की मौत हो रही है.
जापानी बुखार का असर
बिहार के दक्षिण क्षेत्र मगध इलाके में जेई और एईएस मानसून के बारिश के साथ आता है. पिछले साल मानसून के आगमन से यानी 20 जुलाई से जापानी बुखार के मरीज मिलने लगे थे. मगध क्षेत्र में सबसे ज्यादा गया और औरंगाबाद जिले में जापानी बुखार का असर देखने को मिलता है.
स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
पिछले साल 88 मरीज जेई और एईएस के भर्ती हुए थे जिसमें डेढ़ दर्जन मरीजों की मौत हो गई थी. इस साल गया जिला प्रशासन जिला स्वास्थ्य विभाग और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेई और एईएस के लेकर काफी अलर्ट है.
शिशु विभाग चालू
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड 19 के मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने काफी सतर्कता के साथ शिशु विभाग को चालू रखा है.
बढ़ाई जाएगी बेडों की संख्या
अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है. इस संबंध में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि जेई और एईएस के लिए 10 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है. मरीजो की संख्या बढ़ने पर बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था
डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि वार्ड के सभी बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. इस बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध हैं. अभी तक एईएस के छः मरीज भर्ती हुए थे जो ठीक होकर चले गए. उन्होंने बताया कि इसके बाद जेई का एक भी मरीज नहीं आया है.
पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड
बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस साल सौ बेडों का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. पिछले साल हीट वेब की समीक्षा करने आए मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने की घोषणा की थी.