मोतिहारी:पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया स्थित विश्व के सबसे ऊंचे बौद्ध स्तूप के चाहरदिवारी का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया है. बताया जा रहा है कि चाहरदिवारी पानी का दबाव नहीं झेल सकी और लगभग 50 मीटर एरिया में ध्वस्त हो गई है. ध्वस्त हुए चाहरदिवारी के हिस्सा का निर्माण साल 2019 में पूरा हुआ था.
मोतिहारी: पानी के दबाव से विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप की 50 मीटर बाउंड्री हुई ध्वस्त
उप अंचल वैशाली के संरक्षक सहायक विक्रम झा ने बताया कि बौद्ध स्तूप की बाउंड्री का कुछ हिस्सा पानी के दबाव के कारण ध्वस्त हो गया है. हालांकि इससे बौद्ध स्तूप को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
50 मीटर चाहरदिवारी हुई ध्वस्त
मिली जानकारी के मुताबिक बौद्ध स्तूप के चारों तरफ 1200 मीटर की चाहरदिवारी का निर्माण कराया गया है. बाउंड्री के पूर्व-दक्षिण का कोना लगभग 50 मीटर में ध्वस्त हो गया है. हालांकि, बौद्ध स्तूप को इस बाउंड्री वॉल के ध्वस्त होने से कोई नुकसान नहीं हुआ है. बौद्ध स्तूप पिछले एक महीने से बारिश के पानी से घिरा हुआ था. उसके बाद संग्रामपुर के भवानीपुर में चंपारण तटबंध के टूटने से गंडक नदी के पानी का दबाव चाहरदिवारी पर ज्यादा हो गया. जिस कारण बाउंड्री वाल ध्वस्त हुआ है.
2019 में पूरा हुआ था चाहरदिवारी का निर्माण कार्य
साल 2014-15 में बौद्ध स्तूप के चाहरदिवारी का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 2019 में पूरा हुआ. यह बाउंड्री वॉल दो फेज में बनी थी. शुरुआत में बिहार पर्यटन विभाग ने चाहरदिवारी निर्माण का काम कराया था. लेकिन संवेदक के काम छोड़ देने के बाद मोमेंटो ने चाहरदिवारी का काम पूरा किया. भारतीय सर्वेक्षण विभाग पटना अंचल के अन्तर्गत उप अंचल वैशाली के संरक्षक सहायक विक्रम झा ने बताया कि बौद्ध स्तूप की बाउंड्री का कुछ हिस्सा पानी के दबाव के कारण ध्वस्त हो गया है. हालांकि इससे बौद्ध स्तूप को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.