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उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में गए बिहार के एक तीर्थयात्री की मौत, 31 हुई मृतकों की संख्या - पूर्वी चंपारण की खबर

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में मौतों का आंकड़ा (Death toll in Chardham Yatra) दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. गुरुवार देर रात यमुनोत्री पैदल यात्रा मार्ग पर दो तीर्थ यात्रियों की मौत(Two pilgrims died on Yamunotri walking route) हुई. अब तक यमुनोत्री पैदल मार्ग पर 13 यात्रियों की मौत (13 passengers died on Yamunotri pedestrian route so far) हो चुकी है.

बिहार के एक तीर्थयात्री की मौत
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा

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Published : May 13, 2022, 6:17 PM IST

पूर्वी चंपारण/ उत्तरकाशी: यमुनोत्री पैदल यात्रा मार्ग पर गुरुवार देर शाम दो तीर्थ यात्रियों की मौत (Two pilgrims died on Yamunotri walking route) हो गई. पूर्वी चंपारण निवासी एक यात्री की पैदल मार्ग पर पैर फिसलने से मौत हुई, जबकि गुजरात निवासी के साथ यात्री की हृदय गति रुकने से मौत हुई. ऐसे में चारधाम यात्रा में मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 31 हो गई है.

पूर्वी चंपारण के एक निवासी की मौत: बता दें कि गुरुवार रात आठ बजे यमुनोत्री पैदल मार्ग पर रामबाबू प्रसाद (65) पुत्र यमुना शाह निवासी यमुनासाथी मोतिहारी ईस्ट चंपारण बिहार का पैर फिसल गया. जिससे वह घायल हो गए. घायल यात्री को जानकी चट्टी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

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गुरुवार रात साढ़े आठ बजे करीब प्रकाश चंद (58) पुत्र चंदूलाल ठक्कर निवासी दीस बनासकांडा नॉर्थ गुजरात यमुनोत्री धाम से यात्रा कर वापस लौट रहे थे, तभी रास्ते में पैदल मार्ग पर उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. जिसके बाद उन्हें भी जानकी चट्टी हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

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यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक यमुनोत्री पैदल मार्ग पर 13 यात्रियों की मौत (13 passengers died on Yamunotri pedestrian route so far) हो चुकी है. जिनमें 11 यात्रियों की हार्टअटैक से मौत हुई. चारधाम यात्रा में मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 31 हो गई है.

मृतकों में 30 साल आयु वर्ग के भी: आंकड़ों पर गौर करें तो 30 से 40 साल उम्र के 3 श्रद्धालुओं की जान गई है. इसी तरह 40 से अधिक और 50 तक की उम्र वाले 4 श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई है. 50 से 60 साल तक की उम्र वाले 9 श्रद्धालुओं की जान गई है. जबकि 76 साल तक के 13 मरीजों की जान गई है. सबसे ज्यादा मौतें यमुनोत्री पैदल मार्ग और केदारनाथ में हो चुकी हैं.


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