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सामान्य साइकिल से ही नाप दी राज्यस्तरीय चैम्पियनशिप की दूरी, नेशनल की तैयारी के लिए सरकार से मांगी मदद

पूर्वी चंपारण जिले के दो एथलीट ने आम लोगों के इस्तेमाल किए जाने वाले साइकिल से ही राज्यस्तरीय चैम्पियनशिप की दूरी नाप दी है. जिसके बाद नेशनल माउंटेन साइकिलिंग चैम्पियनशिप के लिए अपनी जगह बना ली है. लेकिन पैसों के अभाव में दोनों एथलीट सामान्य साइकिल से ही नेशनल चैम्पियनशिप के लिए तैयारी कर रहे हैं.

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Published : Oct 22, 2021, 9:08 AM IST

मोतिहारी:कहते हैं.. हौसलें अगर बुलंद हो, तो मंजिलें आसान हो जाती हैं. कुछ कर गुजरने का जज्बा अगर हममें हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होती. हमारी जिंदगी का हर पल इम्तिहानों से भरा होता है. मुश्किलों से भाग जाना तो आसान होता है लेकिन सामना करने वालों के कदमों में जहां होता है. कुछ ऐसी ही मुश्किलों का सामना कर बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के दो एथलीटों ने इतिहास रच दिया है. सामान्य साइकिल से साइकलिंग कर नेशनल साइकिलिंग चैम्पियनशिप (Cycling Championship) में अपनी जगह बना ली है.

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सामान्य साइकिल से ही जिलास्तरीय साइकिलिंग प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले नक्सल प्रभावित क्षेत्र पकड़ीदयाल के रहने वाले विनय कुमार बैठा का चयन राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है. पटना में आयोजित राज्य स्तरीय माउंटेन साइकिलिंग चैंपियनशिप के लिए जरूरी साइकिल के साथ शामिल खिलाड़ियों के बीच अपने सामान्य साइकिल के साथ उन्होंने भाग लिया.

देखें रिपोर्ट.

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खिलाड़ी के पैर में स्पोर्टस शूज के बदले कपड़ा का जूता था. लेकिन इसी की बदौलत ही विनय बैठा ने राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में तीसरा स्थान प्राप्त किया. जिसके साथ ही उनका चयन नेशनल माउंटेन साइकिलिंग चैम्पियनशिप के लिए हुआ है. जिसके लिए वह प्रत्येक दिन अपने पास उपलब्ध संसाधनों की बदौलत ही तैयारियों में जुटे हुए हैं.

'मैं जब पटना गया रेसिंग करने, तो वहां देखा कि जो माउंटेन रेसिंग हो रही था उसके लिए एक अलग किस्म की साइकिल थी. जिसकी कीमत 5 लाख रुपये तक थी. जहां इस तरीके का ही साइकिल लेकर खिलाड़ी आए हुए थे. लेकिन मेरे पास वही गांव देहात वाली ही साइकिल थी, जिसकी कीमत सिर्फ पांच हजार रुपये थी. मैंने इसी साइकिल से अपने जज्बे और मेहनत को दिखाया. जिसमें मेरा तीसरा स्थान आया. मेरा सिलेक्शन नेशनल के लिए हो चुका है. यदि मेरे पास महंगी साइकिल उपलब्ध हो जाए, तो मैं मेहनत करके नेशनल में भी बिहार और देश का नाम रौशन कर सकता हूं.' -विनय कुमार बैठा, खिलाड़ी

वहीं, दूसरी ओर जिला के सबसे पिछड़ा प्रखंड बंजरिया की रहने वाली प्रियदर्शिनी कुमारी ने भी जिला स्तर पर आयोजित साइकिलिंग प्रतियोगिता में उधार की साइकिल मांग कर प्रथम स्थान प्राप्त किया था. जिसके बाद राज्य स्तर के प्रतियोगिता में तीसरे नंबर पर रही थी. जहां से उनका चयन नेशनल माउंटेन साइकिलिंग चैम्पियनशिप के लिए हुआ है.

सामान्य साइकिल से ही राष्ट्रीय स्तर के खेल तक का सफर तय करने वाली प्रियदर्शिनी को स्थानीय रोटरी क्लब ने एक साइकिल गिफ्ट की है. लेकिन माउंटेन रेसिंग के लिए यह साइकिल कारगर नहीं है. लेकिन प्रियदर्शिनी अपने हौसले को बुलंद रख अपने सामान्य साइकिल से ही तैयारी जारी रखी हुई हैं.

'मैं एक दिन पेपर पढ़ते हुए देखी कि साइकिल प्रतियोगिता के लिए एक फॉर्म निकला हुआ है. वह फॉर्म मैंने भर दिया. इसके बाद जब वहां गए तो देखें कि सभी के पास अच्छी-अच्छी साइकिल थी लेकिन मेरे पास सामान्य साइकिल थी. लेकिन फिर भी मैंने वहां रेस किया. जिसमें मेरा प्रथम स्थान आया. इसके बाद मैं जिलास्तरीय प्रतियोगिता में भाग ली. जहां पहाड़ पर साइकिल चलाना था. वहां मेरा तीसरा स्थान आया. वहीं, अब मेरा सिलेक्शन नेशनल के लिए हो चुका है. लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है कि महंगी साइकिल खरीद सके. मेरी सरकार से निवेदन करती हूं कि मेरी कुछ मदद की जाए.' -प्रियदर्शिनी कुमारी, खिलाड़ी

बता दें कि आगामी 29 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक नेशनल माउंटेन साइकिलिंग चैम्पियनशिप का आयोजन महाराष्ट्र के पुणे में होना है. प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए जिला के दोनों खिलाड़ी विनय कुमार बैठा और प्रियदर्शिनी कुमारी अपने सामान्य साइकिल के बदौलत ही नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उत्साहित हैं. उसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं.

यदि जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की इन खिलाड़ियों पर नजरे इनायत हो जाती है, तो ये दोनो खिलाड़ी निश्चित रूप से देश दुनिया में जिला का नाम रौशन करेंगे. हालांकि इन दोनों खिलाड़ियों के जज्बा को देख कुछ युवा इनके माउंटेन साइकिल को खरीदने के लिए ऑनलाइन अभियान चला रहे हैं. जिसका कितना लाभ होगा, यह कहना अभी मुश्किल है.

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