मोतिहारी:टमाटर की खेती पूर्वी चंपारण जिले के किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. किसानों से उनके खेत से टमाटर खरीदने वाले स्थानीय व्यापारियों के अलावा दूसरे जिले के व्यापारी भी लॉकडाउन के कारण परेशान हैं. कच्चा माल होने के कारण टमाटर व्यापारियों को भी काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
'बाजारों में टमाटर की बिक्री नहीं'
टमाटर की खेती करने वाले किसान रामानंद प्रसाद ने बताया कि प्रति एकड़ खेती में लगी लागत को निकालना मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि इस सीजन में टमाटर का भाव तीस रुपये से लेकर पचास रुपये प्रति किलो तक रहता है, लेकिन इस साल चार रुपये से लेकर सात रुपये तक व्यापारी टमाटर को खरीद रहे हैं. रामानंद प्रसाद के अनुसार लॉकडाउन के कारण बाजार में टमाटर की बिक्री नहीं है. साथ ही अन्य मांगलिक कार्य भी नहीं हो रहे हैं. इस कारण टमाटर की खपत नहीं होने से किसान सस्ते भाव में टमाटर बेचकर कुछ पैसा निकालने में लगे हैं.
सरकार से मांगी मदद
युवा किसान रंजीत कुमार साह ने बताया कि लॉकडाउन के कारण इस साल टमाटर की खेती में काफी नुकसान हुआ है. टमाटर की खेती में एक लाख रुपया प्रति एकड़ की लागत है, लेकिन बीस हजार रुपया भी निकालना मुश्किल हो गया है. उन्होंने सरकार से मदद की मांग की है.
खेत से टमाटर तोड़ते किसान टमाटर व्यापार में हो रहा है घाटा
नवादा के व्यापारी मो. अरमान ने बताया कि टमाटर यहां से खरीदकर ले जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में प्रशासन की ओर 2 घंटे मात्र बजार में सब्जी बेचने की अनुमति दी जाती है. इससे कुछ बिकता है और कुछ बर्बाद हो जाता है. व्यापारी अरमान के अनुसार अपने घाटे को कम करने के लिए टमाटर को बाजार तक वे ले जाते हैं, लेकिन किसी खेप में घाटा होता है और किसी खेप में पैसा निकलता है. उन्होंने बताया कि अबतक टमाटर उसके लिए घाटा का सौदा हीं साबित हुआ है.
सब्जी उत्पादक किसानों को दिया गया है पास
किसानों की समस्या से जिला कृषि अधिकारी को अवगत कराया. तो उन्होने बताया कि सब्जी उत्पादक किसानों अपने उत्पाद जिला के मंडी में लाने के साथ हीं जिले के बाहर भेजने के लिए पास दिया जा रहा है, लेकिन बाजार में सब्जी उत्पादों को बेचने निर्धारित समय पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंनकार कर दिया.
घाटे का सौदा हुई टमाटर की खेती
बता दें कि जिले के लगभग सभी प्रखंड में टमाटर की अच्छी खासी खेती होती है. लगन के मौसम में टमाटर का भाव काफी चढ़ा हुआ रहता है और टमाटर की खेती से जुड़े जिले के किसानों के लिए यह कभी भी घाटा का सौदा नहीं रहा है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन ने टमाटर की खेती करने वाले किसानों को खून के आंसू रुला दिए हैं.