मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला (East Champaran District) के सुगौली में सिकरहना नदी (Sikarhana River) का तांडव जारी है. नदी के पानी का दबाव सुकुलपाकड़ पंचायत के लालपरसा का रिंग बांध बर्दाश्त नहीं कर सका और 70 मीटर में रिंग बांध टूट गया. टूटे हुए स्थल पर नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर तक रिंगबांध क्षतिग्रस्त (Ring dam of collapsed) हो गया है. रिंग बांध टूटने से नदी का पानी गांव की ओर बहने लगा है. जिस कारण पूरे इलाके में लोगों के बीच गांवों के इस साल फिर डूब जाने का भय सता रहा है.
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रिंगबांध टूटने से कई गांव प्रभावित
सुगौली के सुकुलपाकड़ पंचायत में रिंगबांध के ध्वस्त होने से बड़हड़वा, बेलवतिया, माली, शीतलपुर, डुमरी, मुसवा और भेड़िहाड़ी समेत दर्जनों गांवों में सिकरहना नदी का पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ प्रभावित इन गांवों में जिला प्रशासन के स्तर से किसी तरह का राहत कार्य शुरू नहीं किया गया है. जबकि शीतलपुर पंचायत के लालपरसा के तरफ सिकरहना नदी की धारा मुड़ गई है.
गांववाले करते रहे मशक्कत
रिंग बांध टूटने से लोगों में दहशत फैल गया. पिछले साल का डर लोगों को सता रहा है. इस कारण लोग गांव की तरफ बह रहे पानी को रोकने के लिए पेड़ वगैरह लगा कर पानी का रुख मोड़ने की घंटों नाकाम मशक्कत करते रहे. लेकिन सफलता तो सिर्फ बाढ़ को ही मिली. पानी अपने ही रास्ते में गांव की तरफ बढ़ता रहा. दो लोग घंटों पेड़ लेकर खड़े रहे. अंत में वे भी थक हार कर बाहर निकल आए.
पिछले वर्ष टूटा था लालपरसा का रिंगबांध
बता दें कि वर्ष 2020 में आई बाढ़ में सिकरहना नदी ने लालपरसा में ही रिंगबांध को तोड़ दिया था और काफी तबाही मची थी. जिसे स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से ठीक कराया था. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर क्षतिग्रस्त रिंगबांध की मरम्मति नहीं किए जाने के कारण सिकरहना नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ रिंगबांध ध्वस्त हो गया. नदी ने लगभग 70 मीटर के लंबाई में रिंग बांध को तोड़ा था. उसके बाद नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर लंबे रिंगबांध को नदी ने ध्वस्त कर दिया है.
तेजी से बढ़ रहा मॉनसून
इधर, बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में सक्रिय चक्रवाती हवा और निम्न हवा के दबाव के क्षेत्र के साथ नमी की वजह से काफी तेजी सेमानसून(Monsoon) आगे बढ़ रहा है. बिहार के साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंडक नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. इससे तराई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.