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नेपाल से लौटे प्रवासी मजदूर खुले में रहने को मजबूर, प्रशासन ने नहीं ली सुध

पैसेंजर एमेनिटीज कमेटी यानी यात्री सुविधा समिति के नियमानुसार प्रत्येक यात्री को सुविधा उपलब्ध कराना रेल प्रशासन की जिम्मेदारी होनी चाहिए. लेकिन प्रवासियों की सुविधाओं की अनदेखी प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है.

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Published : Jun 10, 2020, 10:59 AM IST

east champaran
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पूर्वी चंपारण (रक्सौल): वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाया जा रहा है. इसी क्रम में नेपाल से करीब 200 से 300 प्रवासियों को इन्ट्रीगेटेड चेक पोस्ट से भारत लाया गया. लेकिन इन्हें स्टेशन परिसर में ही छोड़ दिया गया. सरकार की तरफ से न तो प्रवासियों के रहने और न ही खाने की कोई व्यवस्था की गई.

नहीं ली किसी ने सुध
राहत और सुविधाओं के नाम पर छोटे-छोटे बच्चे भूख से बिलखते नजर आए. प्रवासी खुले आसमान में रहने के लिए मजबूर हैं. वापस लौटी महिला ने बताया कि रेलवे का कोई अधिकारी खोज खबर लेने नहीं आया. उन्होंने बताया कि ऐसे में अगर बारिश शुरू हो जाती है तो हम कहां जाएंगे?

देखें रिपोर्ट

असहाय लोगों को भोजन
रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रंजीत सिंह पिछले 77 दिनों से प्रतिदिन भूखे असहाय लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने प्रवासी मजदूरों के खाने का इंतजाम कराया. रंजीत सिंह ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है कि यात्रियों की सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है.

वापस लौटे प्रवासी

प्रशासन पर सवाल
संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि पैसेंजर एमेनिटीज कमेटी यानी यात्री सुविधा समिति के नियमानुसार प्रत्येक यात्री को सुविधा उपलब्ध कराना रेल प्रशासन की जिम्मेदारी होनी चाहिए. लेकिन प्रवासियों की सुविधाओं की अनदेखी प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है.

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