मोतिहारी : केवल मिथिलांचल में होने वाली मखाना की खेती अब पूर्वी चंपारण जिले में भी होने लगी है. पिछले तीन साल से जिले के बंजरिया प्रखंड में मखाना की खेती किसान ललन कुमार कर रहे हैं. हालांकि, मखाना की खेती को लेकर किसी तरह का सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिलने के बावजूद किसान सरकार की घोषणा के बाद आशान्वित दिख रहे हैं. मृतप्राय हो चुकी धनौती नदी के क्षेत्र को पट्टा पर लेकर लगभग 100 एकड़ में मखाना की खेती हो रही है. अनुभवहीन होने के कारण पहले साल में किसान सिर्फ 100 क्विंटल मखाना के गुड़िया का उत्पादन कर सके, जबकि दूसरे साल बाढ़ के कारण मात्र 45 क्विंटल हीं गुड़िया निकाला जा सका.
'मखाना की खेती में लगती काफी मेहनत'
दरअसल, मखाना की बीज से लेकर पौधे तक में नुकीले कांटे होते हैं. पानी के अंदर से मखाना का गुड़िया निकालने वाले स्किल्ड मजदूर भी चंपारण में नहीं हैं. लगभग दो से तीन स्थानीय मजदूर हैं, जो मखाना के गुड़िया को निकालते हैं. मजदूर रामबरण महतो ने मखाना के गुड़िया को निकालने के तरीका को दिखाते हुए बताया कि सावन, भाद्रपद और आश्विन मास में गुड़िया को निकाला जाता है, जब नदी या तालाब में पानी भरा रहता है. वहीं, मजदूर किशोर महतो ने बताया कि मखाना का फल पानी के अंदर झड़ कर कीचड़ में चला जाता है, जिसे निकालने के लिए बांस का बड़ा-बड़ा आखा बनाकर पानी के अंदर प्रवेश करना पड़ता है. फिर कीचड़ के अंदर से उसके फल को निकाला जाता है. मखाना के फल को पानी के अंदर से निकालने की विधि सिखकर काम करने वाले मजदूर मुनी महतो ने बताया कि बिना ट्रेनिंग लिए मखाना का फल दूसरा कोई पानी से नहीं निकाल सकता है.