मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला आरजेडी के बागी उम्मीदवारों का आखाड़ा बना हुआ है. जिले के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी के बागी उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. इसी कड़ी में मधुबन विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक शिवजी राय ने पार्टी से बगावत कर जाप के टिकट पर मधुबन विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
दरअसल, नक्सल प्रभावित क्षेत्र मधुबन में शिवजी राय को अपनी सियासी पांव को जमाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. शिवजी राय जेडीयू के टिकट पर अक्टूबर 2005 के विधानसभा चुनाव में मधुबन से वह निर्वाचित हुए और 2010 में भी जेडीयू के टिकट पर ही दुबारा चुनाव जीता. वर्ष 2015 के चुनाव में महागठबंधन की तरफ से जेडीयू की टिकट पर तीसरी बार मधुबन के चुनावी अखाड़ा में उतरे, लेकिन वह चुनाव हार गए.
तीन महीने पहले थामा था लालटेन
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की अधिसूचना जारी होने के पहले शिवजी राय ने आरजेडी का लालटेन थाम लिया. बावजूद इसके पार्टी ने उन्हें मधुबन विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर शिवजी राय पप्पू यादव के शरण में गए और वह जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी के रुप में मधुबन विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर किस्मत अजमा रहे हैं.
आरजेडी पर लगाया टिकट बेचने का आरोप
पूर्व विधायक व जाप प्रत्याशी शिवजी राय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए आरजेडी पर टिकट बेचने का आरोप लगाया और लालू यादव समेत कई पार्टी नेताओं पर अपनी भड़ास निकाली. शिवजी राय ने मधुबन में अपने कार्यकाल में काफी विकास करने का दावा करते हुए कहा कि निवर्तमान बीजेपी विधायक के कार्यकाल में एक भी सड़क नहीं बना है. निवर्तमान विधायक और विधायक के समर्थक उनके द्वारा बनवाये गए सड़क के शिलापट्ट को तोड़कर अपना शिलापट्ट लगा रहे हैं. जिसका क्षेत्र के लोगों ने विरोध भी किया है.
मधुबन में होती थी हत्या की राजनीति
शिवजी राय ने बताया कि वह क्षेत्र के विकास के साथ शोषित, दलित, पिछड़ा और किसान की समस्याओं के मुद्दा को लेकर चुनावी मैदान में हैं. उन्होंने बताया कि मधुबन में हत्या की राजनीति होती थी. कई दर्जन हत्यायें हुई है, लेकिन विधायक बनने के बाद उन्होंने हत्या की राजनीति के खिलाफ खुद मोर्चा लेना शुरु किया. उसके बाद क्षेत्र में शांति आई.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है मधुबन
बता दें कि मधुबन विधानसभा क्षेत्र 1990 के बाद जातीय और नक्सली हिंसा की आग में जलता रहा. विकास से कोसो दूर मधुबन की स्थिति इस कदर खराब थी कि नक्सली दिनदहाड़े घटनाओं को अंजाम देते थे. बाद के दिनों में सीआरपीएफ की एक कम्पनी मधुबन में तैनात करनी पड़ी. फिर सीआरपीएफ के शुरु किए गए ऑपरेशन के बाद नक्सली वारदातों में कमी आई.