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मोतिहारी: बाढ़ ने गन्ना किसानों की तोड़ी कमर, सरकार से भी टूटी आस

मोतिहारी में बाढ़ (Flood In Eat Champaran) की तबाही का दंश सबसे अधिक किसानों को झेलना पड़ रहा है. खेतों में पानी प्रवेश कर जाने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है. हालांकि सरकार ने गन्ना की खेती करने वाले किसानों को फसल क्षति मुआवजा देने की बात कही है.

फसल बर्बाद
फसल बर्बाद

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Published : Aug 3, 2021, 7:09 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में आई बाढ़( Flood In East Champaran ) ने काफी तबाही मचा रखी है. बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे खेतों में प्रवेश करने लगा है. जिससे खरीफ की फसलें बाढ़ के पानी की भेंट चढ़ गई है. गन्ना की खेती ( sugarcane cultivation ) करने वाले किसानों की कमर टूट गई है. जिसे लेकर कृषि विभाग बर्बाद हुए गन्ना के फसल का सर्वे कराने की बात कह रहे हैं.

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जिले में आई बाढ़ ने सुगौली, बंजरिया, चिरैया, केसरिया, संग्रामपुर और मोतिहारी में खूब तांडव मचाया है. बाढ़ के पानी में किसानों की खड़ी फसलें डूब गई है. गन्ना की फसलों पर किसानों की आस लगी रहती है लेकिन किसानों के सपनों को बाढ़ का पानी बहा ले गई. कर्ज लेकर गन्ना की खेती करने वाले किसानों के सामने खेत बेचने तक की नौबत आ गई है.

देखें रिपोर्ट.

बता दें कि बंजरिया और सुगौली प्रखंड के किसान प्रत्येक साल बाढ़ की त्रास्दी झेलते हैं. लेकिन फिर भी किसान हिम्मत हारने को तैयार नहीं होते. सुगौली चीनी मील( Sugauli Sugar Mill ) के चालू होने के बाद इस क्षेत्र के किसानों ने धान, मक्का और दलहन की खेती को छोड़ गन्ना की नगदी फसल की खेती करनी शुरू कर दी. लेकिन बाढ़ के कारण हर साल गन्ना की फसल बर्बाद होती है. हालांकि सरकार ने गन्ना की खेती करने वाले किसानों को फसल क्षति मुआवजा देने की बात कही है.

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'जितना परेशान किसान होते हैं शायद ही इस धरती पर और कोई परेशान होता होगा. सरकार की हवा-हवाई और कागजी घोषणाएं किसानों की हिम्मत तो बढ़ाती है लेकिन अंत में किसानों के हिस्से में गन्ना की बर्बाद फसलें हीं बचती है. मैंने 10 बीघा गन्ना की खेती की थी लेकिन एक बीघा गन्ना भी नहीं बचा. क्या सरकार क्षति का मुआवजा देगी?' -अभिलाष कुमार, किसान

'मक्का की खेती हमलोग कम कर गन्ना की खेती करना शुरू कर दिए थे. लेकिन अब तो गन्ना की खेती भी नहीं बच पा रहा है. सरकार की कोई नीति नहीं है. हर साल बाढ़ आता है और हम किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. हर साल किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं और हर साल यही हाल होता है. चीनी मील प्रबंधक के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन देना चाहिए. जिससे किसान नई फसल के लिए खड़ा हो सकें.' -आनंद प्रकाश, किसान

कृषि पदाधिकारी के अनुसार सरकार अधिकतम दो हेक्टयर गन्ना का मुआवजा एक किसान को देगी. जिसका सर्वे होने के बाद पोर्टल खुलने पर किसान ऑनलाइन आवेदन करेंगे और उन्हें मुआवजा मिलेगा. बहरहाल, जिले में आई बाढ़ ने गन्ना किसानों को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर दिया है और सरकार ने गन्ना किसानो को उनके फसल क्षति का मुआवजा देने का ऐलान किया है. लेकिन सरकार की घोषणाओं पर किसानों को विश्वास होता नहीं दिख रहा है.

जिले में लगभग 24 हजार हेक्टेयर में गन्ना की खेती हुई है. बाढ़ के कारण गन्ना की फसलें बर्बाद भी हुई है. पानी नीचे उतरने से गन्ना सूख रहा है. पहले तो सरकार को मुआवजा देने की बात नहीं सूझ रही थी लेकन इस साल से सरकार ने किसानों को उनके नुकसान हुए गन्ना की फसल का मुआवजा देने की घोषणा की है. जिसका सर्वे किया जा रहा है. जिन किसानों को 33 प्रतिशत से ज्यादा का नुकासन होता है उन्हें क्षति नुकसान का लाभ दिया जाता है.-चंद्रदेव प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी

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