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AES को लेकर कटघरे में लीची, एक्सपर्ट बोले- शोध तो जरूरी है

मालूम हो कि लंदन के एक मेडिकल जर्नल "द लैन्सेंट" में प्रकाशित शोध के बाद से लीची को शक की निगाह से देखा जाने लगा. इस बीमारी के कारण अब तक 180 बच्चों की मौत हो चुकी है.

लीची

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Published : Jun 23, 2019, 11:36 PM IST

मोतिहारी:एक तरफ जहां आसमान से आग बरस रही है और धरती आग का गोला बना हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के लगभग जिलों में एईएस का तांडव जारी है. इस बीमारी का संबंध लीची से जोड़ा जा रहा है. जिस कारण इस साल किसानों को खासा नुकसान हो रहा है. सभी लीची व्यापारी परेशान हैं. कई चिकित्सक भी सरकारी भाषा में एईएस का कारण लीची को ही बता रहे हैं. जबकि, कुछ चिकित्सक एईएस का संबंध लीची से होने की बात को सिरे से नकार रहे हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

मालूम हो कि लंदन के एक मेडिकल जर्नल "द लैन्सेंट" में प्रकाशित शोध के बाद से लीची को शक की निगाह से देखा जाने लगा. इस बीमारी के कारण अबतक 180 बच्चों की मौत हो चुकी है. किसान और व्यापारी लगातार लीची और एईएस के संबंध पर शोध करने की मांग कर रहे हैं. पूर्वी चंपारण जिले में इस बीमारी ने 21 बच्चों की जिंदगी छीन ली है. वहीं, 56 बच्चे अभी भी इलाजरत्त हैं.

चीनी मिल बंद होने के बाद एकमात्र सहारा

मोतिहारी जिले में लगभग सोलह हजार एकड़ में लीची का बाग है. पूर्वी चंपारण में चीनी मिल के बंद होने के बाद लीची ही नकदी फसल के रुप में किसानों की आय का एकमात्र साधन है. ऐसे में लीची पर सवाल खड़े होने पर किसान मायूस हैं. एईएस से लीची के तार जोड़े जाने के कारण व्यापारियों की संख्या प्रति वर्ष घटती जा रही है. इस साल लीची किसानों के लिए घाटे का सौदा रहा.

एकड़ में फैला बाग

शोध के बिना दोषी ठहराना गलत
वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि एईएस का कारण लीची नहीं है. उनका कहना है कि लीची अमीर और गरीब सभी वर्ग के बच्चे खा रहे हैं. जबकि केवल गरीब घरों के कुपोषित बच्चे ही अबतक अस्पताल में इलाज के लिए आए हैं. बिना शोध के किसी को वजह ठहराना गलत है.

लीची बाग

विदेशों तक निर्यात की जाती है लीची
किसानों का मानना है कि लीची बेहद फायदेमंद है. एईएस पिछले पंद्रह वर्षों से बच्चों को अपने चपेट में ले रहा है. लीची से ऐसा नहीं हो सकता. प्रकृति ने मानव जीवन को मौसमी फल दिया है ताकि मौसम के कुप्रभाव से शरीर का बचाव किया जा सके. ज्ञात हो कि देश के कुल उत्पादित लीची में 45 प्रतिशत केवल बिहार में ऊपजता है. बिहार के लीची उत्पादक जिलों में पूर्वी चंपारण नंबर एक पर है. यहां की लीची देश-विदेश के कोने-कोने तक निर्यात की जाती है. लेकिन, इस साल एईएस के भयंकर रुप लेने और लीची पर हुए दुष्प्रचार के कारण व्यापारियों को भी काफी नुकसान हुआ है.

जानकार लोगों का बयान

लीची की खासियत:

  • लीची में कार्बोहाइड्रेट के अलावा विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है
  • इसमें पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स भी हैं
  • व्यापारियों का कहना है कि सरकार एईएस का ठीकरा लीची पर फोड़कर खुद की विफलताओं पर पर्दा डाल रही है
  • बिहार में फुड सिक्युरिटी बिल की विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है

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