पूर्वी चंपारण: बिहार के मोतिहारी जिले में बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी (Ex MLA Rajan Tiwari) नेपाल भागने वाला था. तभी यूपी की गोरखपुर पुलिस ने इनपुट के आधार पर हरैया ओपी के पास दबोच लिया. इस कार्रवाई में पूर्वी चंपारण की पुलिस भी शामिल थी. बता दें कि राजन तिवारी के खिलाफ यूपी के गोरखपुर कैंट थाना में कारबाइन से फायरिंग (Gorakhpur Crime News)करने के मामले में कोर्ट से गैर जमानतीय वारंट जारी था. उनपर यूपी सरकार ने 25 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था.
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नेपाल भागने वाला था राजन तिवारी: यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार पूर्व बाहुबली राजन तिवारी पूर्व विधायक व लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के छोटे भाई हैं. राजन तिवारी ने वर्ष 2005 में पूर्वी चंपारण जिला के गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीता था. उसके वह लोजपा में गए. लोजपा के बाद राजद के शरण में गए. उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए. राजन तिवारी को गिरफ्तार कर यूपी पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई है. रक्सौल डीएसपी चंद्रप्रकाश ने बताया कि राजन तिवारी के खिलाफ गोरखपुर कोर्ट से गैर जमानतीय वारंट जारी था. वारंट के साथ यूपी पुलिस आयी थी और राजन तिवारी के गिरफ्तारी को लेकर सहयोग मांगा था. राजन तिवारी नेपाल जाने की फिराक में थे. उसी दौरान हरैया ओपी क्षेत्र से राजन तिवारी को गिरफ्तार किया गया है
"हरैया ओपी क्षेत्र से पूर्व बाहुबली विधायक राजन तिवारी को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. राजन तिवारी के खिलाफ गोरखपुर कैंट थाना में कारबाइन से फायरिंग करने के मामले में कोर्ट से गैर जमानतीय वारंट जारी था. उनपर यूपी सरकार ने 25 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था. वो हरैया ओपी क्षेत्र से गिरफ्तार हुआ है तो संभवत वो नेपाल भागने वाला था"- चंद्रप्रकाश, डीएसपी, रक्सौल
क्या था पूरा मामला: 15 मई 1998 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला के कैंट पुलिस ने शिव प्रकाश उर्फ श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज सिंह, राजन उर्फ राजेन्द्र तिवारी और आनंद पाण्डेय सहित चार लोगों पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की थी. इसमें श्रीप्रकाश शुक्ला को गैंग लीडर तो अन्य को सक्रिय सदस्य बनाया गया था. इस मामले में राजन तिवारी के हाजिर न होने पर 14 दिसम्बर 2005 को कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया. तब से सौ से ज्यादा वारंट जारी हुए पर कैंट पुलिस के रिकार्ड में कभी पहुंचे ही नहीं.
यूपी माफिया लिस्ट में राजन तिवारी का नाम : बताया जाता है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला के गगहा के सोहगौरा गांव निवासी राजन तिवारी ने एक दशक से अपना ठिकाना बिहार के पूर्वी चंपारण जिले (East Champaran Crime News ) का बना रखा है. सूत्रों की माने तो राजन तिवारी कुछ दिनों पहले गोरखपुर लौटे यहां प्रापर्टी डीलिंग का कारोबार शुरू किया. जब पुलिस को इसकी खबर लगी तो राजन तिवारी की सक्रियता को देखते हुए डीजीपी मुख्यालय ने उत्तर प्रदेश के 61 माफिया की सूची में उसका नाम शामिल कर लिया.
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के टॉप 61 माफियाओं की सूची में बाहुबली राजन तिवारी का नाम शामिल होने के बाद मुकदमों की पड़ताल शुरू हुई थी. सूत्रों की माने तो गोरखपुर जिला के कैंट थाने में यह केस दर्ज हुआ था, वहां से फाइल भी गायब हो गई थी. लेकिन जब अफसरों ने इस संबंध में जवाब मांगा तो उनके पास कोई जवाब नहीं था. बताया जाता है कि कैंट थाना पुलिस ने अपने यहां दर्ज सभी मुकदमों में राजन तिवारी को क्लीनचिट देती रही. जब पूरा मामला सामने आया तो अफसरों ने सख्ती की और तब राजन तिवारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया और तब से पुलिस ने राजन की तलाश शुरू की थी.