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मोतिहारी: सिकरहना नदी का टूटा तटबंध, टापू में तब्दील चिलझपटी गांव में रस्सी ही सहारा - पूर्वी चंपारण जिला

सिकरहना नदी का तटबंध के टूटने से नदी का पानी गांव में प्रवेश कर गया है. इससे सुगौली प्रखंड के चिलझपटी बांध टोला में पांच सौ की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो गई है.

river Sikarahana
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Published : Jul 29, 2020, 7:36 PM IST

मोतिहारी:पूर्वी चंपारण जिला में आई प्रलंयकारी बाढ़ ने काफी तबाही मचाई है. कई गांव टापू बन गए हैं, कई गांव पानी में डूब गए हैं. इस कारण लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई है. सुगौली प्रखंड का चिलझपटी गांव सिकरहना नदी की तबाही का गवाह बना है.

सिकरहना नदी ने मचाई तबाही
सिकरहना नदी ने ऐसी तबाही मचाई है कि गांव टापू बन गया है. ग्रामीण गांव से बाहर निकलने के लिए रस्सी के सहारे नदी की धारा को पार कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने बाढ़ से घिरे ग्रामीणों के लिए नाव की व्यवस्था भी नहीं की है. जान जोखिम में डालकर नदी की तेज धारा को रोजाना पार करने वाले ग्रामीणों का हर पल मौत से सामना होता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

काफी मुश्किल में कट रही है जिंदगी
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई दिनों से वे लोग बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं. लेकिन आज तक कोई उन्हें देखने नहीं आया है. नदी की तेज धारा में रस्सी के सहारे एनएच की ओर आ रहे राहुल साह ने बताया कि काफी कष्ट में जिंदगी कट रही है. घर में पानी घुस चुका है. लेकिन उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है.

गांव में फैला बाढ़ का पानी

नदी की तेज धारा में बहने लगते हैं लोग
ग्रामीण राजेश कुमार ने बताया कि बाढ़ के पानी में काफी मुश्किल से जिंदगी कट रही है. घर में पानी घुस गया है. कुछ लोग घर में ही रह गए हैं और कुछ ने सड़क पर शरण ली है. वहीं भूषण साह ने बताया कि रस्सी के सहारे आने-जाने में खतरा ज्यादा है. गांव से निकलकर सड़क तक आने में कई लोग नदी की तेज धारा में बहने लगते हैं. जिन्हें बचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

रस्सी के सहारे आवागमन

500 की आबादी बाढ़ से प्रभावित
सुगौली प्रखंड के चिलझपटी बांध टोला में पांच सौ की आबादी रहती है. इसके पास से ही सिकरहना नदी बहती है. नदी का तटबंध टूटने के बाद नदी का पानी इस गांव में प्रवेश कर गया और गांव के चारो तरफ नदी की धारा बहने लगी है.

कोई सरकारी मदद नहीं

कोई सरकारी राहत सामग्री नहीं
रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए भी ग्रामीणों को गांव से बाहर निकलना पड़ता है. इसके लिए जान जोखिम में डाल कर रस्सी के सहारे नदी की धारा पार करनी पड़ती है. लेकिन जिला प्रशासन के तरफ से इनके लिए ना ही नाव की व्यवस्था की है और ना हीं इन लोगों को कोई सरकारी राहत सामग्री मिल सकी है.

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