पूर्वी चंपारण(रक्सौल): भारत और नेपाल के बीच (Indo Nepal Border) सदियों से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. लेकिन विगत डेढ़ वर्ष से नेपाल बॉर्डर बंद होने के कारण इन संबंधों (India-Nepal Border Dispute) पर असर पड़ने लगा है. बीरगंज चालीस दिन पहले ही ग्रीन जोन बन चुका है. इसके बाद भी बॉर्डर नहीं खुल रहा. इससे दोनों देशों के सीमाई नागरिक परेशान हैं.
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बॉर्डर बंद होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. चूंकि दोनों देशों के रोटी बेटी का संबंध है. ऐसे में रिश्तेदारों की शादी में शरीक होने से लोग वंचित हो रहे हैं. अपनों के श्राद्ध कर्म में भी दुख नहीं बांट पा रहे हैं. इसी प्रकार के कई मुद्दों को लेकर नेपाल के बीरगंज में मानवाधिकार पत्रकार संघ (Human Rights Journalists Association) और क्रॉस बॉर्डर इश्यू का सेमिनार किया गया.
सेमिनार के दौरान बॉर्डर को फिर से खोलने की मांग उठाई गई. नेपाल के बीरगंज महानगर पालिका के मेयर विजय सरावगी ने कहा कि सरकार को सीमाई क्षेत्र के लोगों की मानवीय संवेदना व जरूरतों को समझना होगा.
'बात केवल कूटनीतिक मसला तक ही सीमित नहीं, बल्कि,मानवाधिकार के हनन से भी जुड़ा है. बॉर्डर बंद तो किया गया है, लेकिन वैक्सिनेशन आज तक नहीं हो सका. जबकि, कोविड संक्रमण से बचने का उपाय वैक्सिनेशन ही है. जिसमे नेपाल सरकार असफल है. यह नेपाल सरकार की कूटनीतिक विफलता है कि वह भारत से वैक्सीन हासिल नहीं कर सकी है.'- विजय सरावगी, मेयर, बीरगंज उप महानगर पालिका नेपाल
लोगों का कहना है कि बॉर्डर पर जहां तस्करी और जानवरों का खतरा है, वहीं तार बाड़ा लगाना चाहिए. गुरुवार को बीरगंज के आवासीय होटल के सभागार में मानवाधिकार पत्रकार संघ द्वारा मानवाधिकार व क्रॉस बॉर्डर इश्यू पर सेमीनार आयोजित किया गया.
'2001 में भारतीय सीमा पर एसएसबी व 2007 में नेपाल सीमा पर आर्म्ड पुलिस फोर्स के तैनाती के बाद से सीमा क्षेत्र में सम्बन्धो को देखने के नजरिये में फर्क आया है. इससे कई समस्याएं भी खड़ी हुई हैं. भारत को बिग ब्रदर बन कर नहीं बल्कि,समान व्यवहार के जरिये नेपाल के साथ रिश्तों की डोर को आगे बढ़ाना चाहिए.'- केसी लामीछाने,सदस्य,पत्रकार महासंघ
इस सेमिनार की अध्यक्षता हुर्जा के अध्यक्ष घनश्याम खड़का ने की. बता दें कि 24 मार्च 2020 से भारत-नेपाल सीमा लगातार बंद थी. लेकिन लगभग 6 महीने पहले नेपाल और भारत सरकार ने अपने-अपने बॉर्डर को खोल दिया था. बाद में फिर कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण इसे बंद कर दिया गया था.