मोतिहारी: पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर के निर्माण कार्य (Construction of Virat Ramayana temple in East Champaran) की शुरुआत आज से हो रहा है. केसरिया के कैथवलिया में 'टावर ऑफ टैम्पल्स' की परिकल्पना 'विराट रामायण मंदिर' के रtप में धरातल पर उतरेगी. इसमें 15 शिखर होगी. सबसे उंची शिखर 270 फीट की होगी. आगामी ढ़ाई साल में मंदिर भव्य रुप लेगा जो देश और दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा.
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मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित होगा शिवलिंग: जब मंदिर बनकर तैयार होगा, तब यह श्रद्धालुओं के अलावा पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. मंदिर निर्माण के शुरुआत में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग का स्थापना किया जाएगा. शिवलिंग का निर्माण कन्याकुमारी से ब्लैक ग्रेनाइट के 250 मीट्रिक टन के एक ही चट्टान को खरीद कर चेन्नई के महाबलीपुरम भेजा गया है. उस चट्टान को तराश कर 200 मीट्रिक टन के सहस्त्र लिंगम का आकार लेगा. इसमें 1008 शिवलिंग विराजमान रहेंगे. इसे मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाएगा.
1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना:धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के अनुसार 800 ईसवीं तक सहस्त्र लिंगम बनती थी. लेकिन 1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना एक बार फिर से की जा रही है. केसरिया के कैथवलिया में ही दुनिया के सबसे बड़े मंदिर निर्माण के बारे में किशोर कुणाल ने बताया कि पटना के हनुमान जी की विराट स्थल पर विराट रूप धारण करने की इच्छा हुई क्योंकि महावीर मंदिर में बहुत संकीर्ण जगह है. इसलिए हनुमान जी के विराट स्वरूप की स्थापना के लिए हाजीपुर और सीतामढ़ी में जगह देखी गई लेकिन हनुमान जी को अपने विराट स्वरुप के लिए केसरिया के कैथवलिया में जगह मिली.
जारी होगा कूपन और बैंक एकाउंट:उन्होंने बताया कि मंदिर के लिए कोई चंदा नहीं लिया गया है. पहले जो स्थिति थी, उसके हिसाब से श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट के पैसे से मंदिर की संरचना खड़ी हो जाती लेकिन जिस तरह निर्माण सामग्री की महंगाई है, उस कारण आने वाले समय में लोगों से चंदा लिया जाएगा. इसके लिए कूपन और बैंक एकाउंट जारी किया जाएगा. मंदिर के लिए जमीन अधिग्रहण में आई समस्या के बारे में जानकारी देते हुए किशोर कुणाल ने बताया कि वह चलती रहेगी लेकिन मंदिर निर्माण का कार्य अब नहीं रुकेगा. किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर में जमीन दान करने वाले, बेचने वाले और बदलेन करने वालों के अलावा दान करने वालों के नाम कृति स्तम्भ में अंकित होंगे.