बिहार

bihar

ETV Bharat / state

कब तक सहेंगे कष्ट! इन प्रवासी मजदूरों को पहले गांव वालों ने भगाया, फिर पुलिस ने वीराने में छोड़ दिया

जंगल वाले परिसर में रखने के बाद प्रशासन का कोई अधिकारी इन्हें पूछने नहीं आया. ये मजदूर अपने घर से खाना मंगा कर खाते हैं और शेड की टूटी छत से गिरती बारिश में भीगते हुए समय काट रहे हैं.

darbhanga
darbhanga

By

Published : May 22, 2020, 2:08 PM IST

दरभंगाः लॉकडाउन में कष्ट सहकर जैसे-तैसे अपने राज्य लौट रहे मजदूरों को यहां आकर भी चैन नहीं मिल रहा है. जिला प्रशासन उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. जिले में सदर प्रखंड के चंदनपट्टी पंचायत के 9 मजदूरों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. पहले तो अपने गांव वालों ने इन्हें भगा दिया. उसके बाद गुहार लगाने पर प्रशासन ने भी वीराने में छोड़ दिया.

टूटा शेड

होम क्वॉरेंटाइन
चंदनपट्टी पंचायत के प्रवासी मजदूरों को डॉक्टर ने जांच कर होम क्वॉरेंटाइन करने का सर्टिफिकेट दे दिया, लेकिन गांव वालों ने उन्हें गांव में जाने नहीं दिया. जिसके बाद मजदूरों ने मुखिया और पुलिस से गुहार लगाई तो इन्हें सारामोहनपुर के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के जंगल वाले परिसर में बने एक टूटे-फूटे शेड में रख दिया गया.

प्रवासी मजदूर

पशोपेश में कॉलेज प्रबंधन
जंगल वाले परिसर में रखने के बाद प्रशासन का कोई अधिकारी इन्हें पूछने भी नहीं आया. ये मजदूर अपने घर से खाना मंगा कर खाते हैं और शेड की टूटी छत से गिरती बारिश में भीगते हुए समय काट रहे हैं. उधर, आयुर्वेद कॉलेज प्रबंधन भी इनको लेकर पशोपेश में है.

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज

पुलिस ने टूटे शेड में रखा
पश्चिम बंगाल से आए एक मजदूर महावीर यादव ने बताया कि वे लोग वहां ईंट-भट्ठे पर काम करते थे. गांव वालों ने उन्हें बाहर से ही भगा दिया. उसके बाद वे जिस क्वारेंटाइन सेंटर पर गए वहां होम क्वारेंटाइन के सर्टिफिकेट की वजह से जगह नहीं मिली. थक-हारकर जब उन लोगों ने मुखिया से गुहार लगाई तो मुखिया ने पुलिस के हाथों उन्हें इस जंगल में टूटे शेड में रख दिया.

देखें रिपोर्ट

नहीं है खाने का इंतजाम
नेपाल से आए एक अन्य मजदूर दुखी पासवान ने बताया कि इस वीराने में रहने में उन्हें काफी दिक्कत हो रही है. यहां झाड़ियों में से रोज सांप निकलते हैं. उन्होंने बताया कि 4 दिन बाद भी उनकी कोई सुधि नहीं ली गई. वे अपने घर से भोजन मंगवाते हैं और इस जंगल में जमीन पर सोते हैं. साथ ही गंदे तालाब में स्नान करना पड़ता है, जिससे दूसरी बीमारियों का खतरा रहता है.

बाहर रखे मजदूरों के सामान

मजदूरों को जबरन रखा गया
राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मधुसूदन द्विवेदी ने बताया कि 4 दिन पहले रात में कॉलेज के सुरक्षा गार्ड को डरा-धमका कर जबरन पुलिस ने इन मजदूरों को उस टूटे शेड में रख दिया. यहां कोई क्वारेंटाइन सेंटर नहीं बनाया गया है. मजदूरों के खाने-पीने तक की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

होम क्वॉरेंटाइन करने का सर्टिफिकेट

प्रधान सचिव को लिखा पत्र
डॉ. मधुसूदन द्विवेदी ने बताया कि सीओ-बीडीओ से बात करने पर उन्हें एक पत्र भेजकर मजदूरों को रखने का निर्देश दे दिया गया. लेकिन उनके पास इन्हें रखने के लिए न तो स्टाफ है और न ही कोई कमरा. प्रशासन कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है. ऐसे में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अपनी परेशानी बता दी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details