दरभंगा:आपने टोल टैक्स वाले नेशनल हाईवे और बड़े-बड़े पुल तो बहुत देखे होंगे लेकिन क्या कोई बांस का चचरी पुलभी देखा है जिससे होकर गुजरने के लिए टोल टैक्स (toll tax on chachari pool in darbhanga) देना पड़ता हो. जी हां, यह सच है. दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड (biraul block) की लदहो पंचायत (Ladho Panchayat darbhanga) के कई गांवों की एक बड़ी आबादी के लिए एक चचरी पुल किसी हाईवे से कम नहीं है. इस चचरी पुल से गुजरने के लिए राहगीरों को पैसे चुकाने पड़ते हैं.
इतना देना होगा टोल टैक्स:अगर आप बाइक से आते हैं तो किराया 20 रुपये, साइकिल से 10 रुपये और पैदल हैं तब भी 5 रुपये देने पड़ते हैं. ये किराया वसूलने ले लिए बकायदा स्टाफ घटवार रखा हुआ है जिसे हर महीने 3 हजार की तनख्वाह दी जाती है. लदहो बिरौल अनुमंडल मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर है लेकिन अगर ये चचरी पुल न हो तो दूरी 15 से 25 किमी की हो जाती है.
टोल टैक्स वसूली की कहानी: जिले के बिरौल प्रखंड की लदहो पंचायत कुशेश्वरस्थान विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है. यहां के सांसद प्रिंस राज और विधायक अमन भूषण हजारी हैं. यह गांव कमला नदी की उपधारा के तट पर बसा है. आजादी के बाद से आज तक इस पंचायत के गांवों के लोगों को एक सड़क और पुल नसीब नहीं हुआ. ग्रामीणों ने सांसद विधायक से लेकर सरकारी अफसरों तक से वर्षों तक गुहार लगाई लेकिन उनके लिए एक अदद पुल नहीं बन सका. उसके बाद पंचायत के गांवों के लोगों ने चंदा वसूल कर 2 लाख रुपये इकट्ठे किए और बांस और लोहे का चचरी पुल बनवाया. इसके बाद यहां आवागमन सुलभ हो सका.
हर साल टोल टैक्स की रकम से बनवायी जाती है पुल: इस बांस के चचरी पुल से बलिया, उसरार, लदहो, बुआरी, चनबारा, बलहा, बेंक, भदरपट्टी, पोखराम सहित करीब 15 गांवों की लाखों की आबादी को आवागमन सुलभ हो सका है. हालांकि ये चचरी पुल हर साल बाढ़ में बह जाता है इसलिए ग्रामीण इस पुल से आने-जाने का किराया वसूल कर हर साल नैना घाट पर नया पुल बनवाते हैं. हर पांच साल बाद विधायक जी और सांसद जी चुनाव में वोट मांगने आते हैं. गांव के मंदिर में कसम खाते हैं कि अबकी चुनाव जीते तो पक्का पुल बनवा देंगे लेकिन आज तक पुल अस्तित्व में नहीं आया.