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जय श्यामा माई के जयकारे से गुंजायमान हुआ दरभंगा राज का प्रसिद्ध मंदिर, संकीर्तन में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ - ETV bharat news

Famous Shyama Temple In Darbhanga: दरभंगा में प्रसिद्ध श्यामा मंदिर में नौ दिवसीय संकीर्तन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. जय श्यामा माई नामधुन नवाह संकीर्तन में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर सहित पड़ोसी देश नेपाल के लोग पहुंचे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

दरभंगा के श्यामा मंदिर में संकीर्तन
दरभंगा के श्यामा मंदिर में संकीर्तन

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 6, 2023, 7:12 PM IST

दरभंगा के श्यामा मंदिर में संकीर्तन

दरभंगा: बिहार के दरभंगा शहर के माधेश्वर प्रांगण मेंजय श्यामा माई नामधुन नवाह संकीर्तन में श्रद्धालुओं की भीड़ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. धार्मिक अनुष्ठान में मंगलवार की देर शाम काफी संख्या मिथिलांचल के विभिन्न क्षेत्र सहित पड़ोसी देश नेपाल से आए श्रद्धालु मां श्यामा नामधुन संकीर्तन में शामिल होकर भक्ति के सागर मे डूबकी लगा रहे हैं. जिससे मां श्यामा परिसर मे चहल-पहल काफी बढ़ गयी है.

जय श्यामा माई' नामधुन नवाह संकीर्तन में श्रद्धालुओं की भीड़

दरभंगा के श्यामा मंदिर में संकीर्तन : भक्तों की ऐसी मान्यता है कि मां श्यामा के दरबार मे सच्चे मन से मांगे गए सभी मन्नते मां श्यामा पूरा करती है. दरअसल, रमेश्वरी श्यामा मंदिर मिथिलांचल का प्रमुख धार्मिक स्थल और आस्था का केंद्र है. इस मंदिर का निर्माण 1933 इसवी मे दरभंगा के तत्कालीन महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह ने अपने पिता रमेश्वर सिंह के चिता पे करवाया था. उसी समय से यह मंदिर भक्तों के लए आस्था का केंद्र रहा है. इस मंदिर की देख भाल फ़िलहाल बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्सद के द्वारा किया जा रहा है.

नामधुन नवाह संकीर्तन करतीं महिलाएं

"श्यामा नामधुन वर्ष 1988 से प्रारम्भ हुआ और यह श्यामा मंदिर दरभंगा शहर के वासियों के लिए किसी बड़े तीर्थ स्थल से काम नहीं है. ये मंदिर महाराजा रामेश्वर सिंह के चिता पर बना हुआ है. मां श्यामा मंदिर में आज की तिथि में दरभंगा शहर में जो भी शुभ कार्य प्रारंभ होता है. लोग यहीं से शुरू करते हैं. वार्षिक तौर पर यह 'जय श्यामा माई' नामधुन नवाह संकीर्तन यज्ञ होता आ रहा है और यह पूरे 9 दिन तक चलता है."-प्रफुल चंद्र झा, मां श्यामा भक्त

दरभंगा में संकीर्तन को लेकर लोगों में उत्साह

"मिथिला में जब बाढ़ और भूकंप का प्राकृतिक प्रकोप हुआ था. तब यहां के विद्वान पंडितों ने आपस मे विचार विमर्श के बाद निर्णय लिया कि जय श्यामा माई नामधुन नवाह संकीर्तन का आयोजन किया जाए तो इस प्रकार के प्राकृतिक प्रकोप से मिथिलांचल के लोगो को मुक्ति मिलेगी. इसके बाद से नौ दिनों तक लगातार चलने वाला जय श्यामा माई नामधुन नवाह यज्ञ का शुरुआत की गई. यहां के लोगो को इस प्राकृतिक आपदा से मुक्ति मिली."- प्रवीण झा, मां श्यामा भक्त

"मिथिलांचल में 1987 में भयंकर बाढ़ और 1988 में आये भूकंप में जान-माल की काफी क्षति हुई थी. इसके बाद यहां के विद्वान पंडितों ने निर्णय लिया कि जय श्यामा माई नामधुन नवाह शुरू करेंगे. इस संकल्प के साथ कि मां श्यामा मानवता का कल्याण करें. पहली बार नवाह 1988 में प्रारंभ हुआ. कोरोना कल में भी यह यज्ञ बाधित नहीं हुआ."- डॉ. त्रिपाठी, सचिव, मां श्यामा माई न्यास समिति

राजघराने के श्मशान पर बना है मंदिर: बताया जाता है कि यह विशुद्ध राजघराने का श्मशान है. इस श्मशान के चिता पर सारे मंदिर बने हुए हैं. आश्चर्य की बात है कि हमारे धार्मिक हिंदू परंपरा के अनुसार किसी प्रकार का शुभ कार्य श्मशान में नहीं किया जाता है. लेकिन यह जगह ऐसी है जहां सारे शुभ कार्य पूरे वर्ष यहां किए जाते हैं. उससे भी बड़े आश्चर्य की बात है कि यहां पर जो भी मांगलिक कार्य किए गए हैं. उस संदर्भ में असफलता का सूचना अभी तक नहीं के बराबर प्राप्त हुए है। सामान्य रूप से 1 घंटे में किया गया विवाह पूर्णता सफल होता है.
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