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47 साल बीत गए.. लेकिन 'सकरी-हसनपुर रेल लाइन' पर नहीं दौड़ी ट्रेन, लोगों ने कहा- 'लगता नहीं पूरा होगा सपना'

बिहार विधानसभा की दो सीटों कुशेश्वरस्थान और तारापुर में 30 अक्टूबर को उपचुनाव है. चुनावी चर्चा में क्षेत्रीय मुद्दा खुलकर सामने आने लगा है. कुशेश्वरस्थान के लोग पिछले 47 सालों से सकरी-हसनपुर रेल लाइन के अधूरा रहने से खासे नाराज हैं. यह इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर सामने है. पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट..

Kusheshwar Asthan By-Election
Kusheshwar Asthan By-Election

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Published : Oct 22, 2021, 2:29 PM IST

दरभंगा:बिहार में 30 अक्टूबर को कुशेश्वरस्थान विधानसभा का उपचुनाव(Kusheshwar Asthan By-Election) होने वाला है. सत्ताधारी और विपक्षी दलों के नेता जीत के लिए धुंधाधार प्रचार में जुट गए हैं. लेकिन यहां के निवासी पूछ रहे हैं कि पुराने वादों का क्या हुआ जो आज तक पूरे ही नहीं हुए. दरअसल पिछले 47 साल यानी कि साढ़े चार दशक से भी ज्यादा समय से 'सकरी-हसनपुर रेल लाइन' (Sakri Hasanpur Rail Line) का काम अधूरा है.

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इस बार भी उपचुनाव में कुछ नहीं बदला है. राजनेता, मतदाताओं से विकास के बड़े-बड़े वादे और दावे कर रहे हैं. लेकिन मतदाता उनके पुराने किए वादों का हिसाब मांग रहे हैं. इन्हीं वादों में से एक बड़ा वादा था, 'सकरी-हसनपुर रेल लाइन' जो कुशेश्वरस्थान से होकर गुजरेगी.

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इस रेल लाइन के कुशेश्वरस्थान से होकर हसनपुर तक पहुंचने का इंतजार करते-करते कई पीढ़ियां दुनिया से चली गईं, लेकिन ये आज भी अधूरी है. हालांकि इस प्रोजेक्ट का बिहार सरकार या क्षेत्रीय विधायक से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन बिहार में फिलहाल डबल इंजन की एनडीए की सरकार है. पिछले 16 सालों से बिहार में यह गठबंधन सत्ता में है. तो वहीं विगत 7 साल से केंद्र में भी एनडीए सत्तासीन है. इस वजह से उपचुनाव में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है.

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हरनगर स्टेशन पर स्थानीय युवक रंजीत मुखिया ने बताया कि सकरी-हसनपुर रेल लाइन उसके बाप-दादा के समय से बन रही है, लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि सभी दलों के नेता झूठे हैं.

"नेता कहते हैं कि रेल लाइन पूरी करेंगे लेकिन नहीं करते.जो ट्रेन इस रूट पर चलती थी वह कोरोना की पहली लहर में ही बंद हो गई. ट्रेन पर 30 रुपये में दरभंगा पहुंच जाते थे. अब 100 रुपये देकर बस से जाना पड़ता है. इस उपचुनाव में ये एक बड़ा चुनावी मुद्दा है."- रंजीत मुखिया,स्थानीय

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ईटीवी भारत बिहार (Etv Bharat Bihar) की टीम ने कुशेश्वरस्थान विधानसभा उपचुनाव के इस बड़े मुद्दे पर लोगों से बात की. लोगों में इस अधूरी परियोजना को लेकर खासी नाराजगी है. मिथिलांचल की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना सकरी-हसनपुर अब तक पूरा नहीं हो पायी है. राजनीतिक खींचतान की वजह से यह परियोजना अपना आधा सफर भी पूरा नहीं कर पाई है.

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वहीं ईटीवी भारत से कुशेश्वरस्थान मंदिर के पुजारी गणपति बाबा ने कहा कि कुशेश्वरस्थान में रेल लाइन की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि रेल लाइन होता तो न सिर्फ आवागमन की सुविधा होती, बल्कि लोगों को रोगजार भी मिलता. इलाके के लोग ट्रेन में पानी और भूंजा बेचकर पेट पाल लेते, लेकिन दिल्ली-मुंबई मजदूरी करने नहीं जाते.

"रेल चलती तो कुशेश्वर नगरी की पब्लिक पंजाब, दिल्ली काम की तलाश में नहीं जाते. ट्रेन में पानी, सत्तू और चना बेचकर अपना घर चला लेते. लेकिन आज तक इसका काम ही पूरा नहीं किया गया."-गणपति बाबा, पुजारी, कुशेश्वरस्थान मंदिर

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76 किमी की दूरी वाली सकरी-हसनपुर रेल लाइन का सपना भारत सरकार के पूर्व रेलमंत्री और मिथिलांचल के दिग्गज राजनेता ललित नारायण मिश्र ने देखा था. उन्होंने सबसे पहले 1973 में इस रेल लाइन का सर्वे कराया. उसके बाद उन्होंने ही 1974 में हसनपुर से सकरी के लिए छोटी लाइन का शिलान्यास किया था. उनकी असमय मृत्यु के बाद रेल लाइन का यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

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वहीं 1996 में दिवंगत पूर्व रेल मंत्री रामविलास पासवान ने बड़ी लाइन का शिलान्यास किया. उन्होंने 1996-97 के रेल बजट में सकरी-हसनपुर रोड वाया कुशेश्वरस्थान मार्ग पर छोटी लाइन के बदले बड़ी रेल लाइन की स्वीकृति दी. उस समय 100 करोड़ की अनुमानित खर्च वाली इस परियोजना के लिए बजट में 3 करोड़ रूपये का प्रावधान भी किया गया. इसके बाद भू अर्जन का कार्य शुरु हुआ. भू-अर्जन और डिमार्केशन में ही 5 वर्ष बीत गए. इसी बीच कुशेश्वरस्थान पहुंचकर उन्होंने नए स्टेशन का शिलान्यास भी किया.

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कुशेश्वरस्थान के एक और युवा दीपक कुमार ने कहा कि कुशेश्वरस्थान में ट्रेन का इंतजार बहुत दिन से है. उसने कहा कि ट्रेन का सपना देखते-देखते बहुत से लोग दुनिया से चले गए, पता नहीं कब यह सपना पूरा होगा और वे लोग भी कुशेश्वरस्थान में ट्रेन चलती देख पाएंगे.

"बहुत दिन से ट्रेन का इंतजार है. ट्रेन का सपना देखते-देखते कितने आदमी तो स्वर्ग भी सिधार गए. आजतक ये सपना पूरा नहीं हुआ. हमें तो लगता है कि ये सपना बस सपना ही बनकर रह जाएगा, कभी पूरा नहीं होगा."- दीपक कुमार, स्थानीय

2009 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने सकरी से बिरौल तक ट्रेन सेवा का उद्घाटन किया था. उसके 10 साल बाद 2018 में यह रेल लाइन 8 किमी और आगे हरनगर तक पहुंची, जिसका उद्घाटन रिमोट से तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. लेकिन उसके बाद फिर यह रेल लाइन आगे नहीं बढ़ सकी.

कोसी और मिथिलांचल के विकास के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है. इस योजना के पूरा होने से दरभंगा, खगड़िया, सहरसा की दूरी कम हो जायेगी. समस्तीपुर-खगड़िया रेल खंड का भी महत्व बढ़ जायेगा. हसनपुर से सकरी रेल परियोजना में कुल 10 स्टेशन हसनपुर, बिथान, कौराही, हरनगर, बिरौल, नेउरी, बेनीपुर, जगदीशपुर, कुशेश्वरस्थान और सकरी है. इसमें हसनपुर, बिथान और कौराही से हरनगर तक कार्य होना है.दरभंगा की तरफ से सकरी से हरनगर तक यह रेललाइन पूरी हो चुकी है. लेकिन रेलवे इस प्रोजेक्ट को लेकर फिलहाल उदासीन है.

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