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दरभंगा राज की ऐतिहासिक धरोहरें उपेक्षित, अब संरक्षण के लिए आगे आया राज परिवार - धरोहर ही हमारी पहचान

दरभंगा के आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह की 113वीं जयंती 28 नवंबर को मनाई जा रही है. इस मौके पर दरभंगा राज परिवार इन धरोहरों को संजोने के लिए आगे आया है. राज परिवार ने दरभंगा राज किला, महलों और खंडहर हो चुके भवनों को सजाने-संवारने की योजना बनाई है.

raj family will conservate heritage in darbhanga
raj family will conservate heritage in darbhanga

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Published : Nov 26, 2020, 4:36 AM IST

Updated : Nov 26, 2020, 7:07 AM IST

दरभंगा: भारत के रजवाड़ों में बिहार का दरभंगा राजघराना एक खास स्थान रखता है. आजादी के पहले जब देश के राजघराने बड़े भू-भागों पर राज करते थे तब दरभंगा के राजाओं ने लोगों के दिलों पर राज किया. चाहे भारत की आजादी की लड़ाई हो या फिर स्वतंत्र भारत में शिक्षा, कला संस्कृति और औद्योगिकरण की बात दरभंगा राज सब में अग्रणी भूमिका निभाता रहा. लेकिन ऐसे राजघराने की निशानियां आज खस्ताहाल हैं.

महाराजा कामेश्वर सिंह

महाराजा कामेश्वर सिंह की 113वीं जयंती
दरभंगा के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह की 113वीं जयंती 28 नवंबर को मनाई जा रही है. इस मौके पर दरभंगा राज परिवार इन धरोहरों को संजोने के लिए आगे आया है. राज परिवार ने दरभंगा राज किला, महलों और खंडहर हो चुके भवनों को सजाने-संवारने की योजना बनाई है. राज परिवार दरभंगा राज के स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहता है.

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धरोहरों को सुदृढ़ बनाने का प्रयास
महाराजा कामेश्वर सिंह के पौत्र और दरभंगा के राजकुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि देश की आजादी में दरभंगा राज का बड़ा योगदान था. उन्होंने कहा कि महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह से बड़ा देशभक्त इस इलाके में कोई नहीं था. उन्होंने कहा कि महाराजा ने इस इलाके में कल्याण के लिए कई संस्थाएं बनाई थी. आज राज की धरोहरे और संस्थाएं खराब हालत में हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी धरोहरों और संस्थाओं को फिर से सुदृढ़ बनाने का प्रयास राज परिवार की ओर से शुरू किया जा रहा है.

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय

धरोहर ही हमारी पहचान
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेटर संतोष कुमार ने देश में दरभंगा राज के योगदान को बताया. उन्होंने कहा कि देश में बड़े शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हो या फिर बिहार और मिथिलांचल में उद्योगों का जाल बिछाने की बात दरभंगा राज ने देश के लिए काफी काम किया. उन्होंने कहा कि उनकी धरोहरों को बचाया जाना चाहिए क्योंकि इसी से हमारी पहचान है.

दरभंगा राज किला

धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास शुरू
दरभंगा राज पर कई किताबें लिखने और संपादित करने वाले विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि दरभंगा के राजा का योगदान बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा कि वे अपने समय के पहले महाराजा थे जिन्होंने बेरोजगारी दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर उद्योगों की स्थापना की. उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार में कई चीनी मिल, जूट मिल और कागज मिल दरभंगा राज की ओर से स्थापित किए गए. इसलिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. वहीं उन्होंने कहा कि दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा राज के परिसर में ही स्थित हैं. विश्वविद्यालय दरभंगा राज की धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास शुरू कर चुका है.

दरभंगा राज की ऐतिहासिक धरोहर
Last Updated : Nov 26, 2020, 7:07 AM IST

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