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'नीतीश कुमार के शासनकाल का सबसे काला अध्याय होगा शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना' : प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर गाहे-बगाहे नीतीश सरकार पर हमला करते नजर आते हैं. एक बार फिर से उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि दो-तीन पीढ़ियो को इसका दंश झेलना पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर.

Prashant Kishor
Prashant Kishor

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 13, 2023, 11:04 PM IST

दरभंगा : बिहार में एक ओर जहां शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बीपीएससी द्वारा परीक्षा आयोजित कर नव नियुक्त शिक्षकों की बहाली की जा रही है. वहीं जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार के शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि लोग कहते हैं कि बिहार में 32 वर्षों में चरवाहा विद्यालय से शुरू होकर पूरे बिहार को चरवाहा बना दिया गया है. दुनिया में जितने भी शिक्षा के बेहतरीन मॉडल बनाए गए हैं. उसमें समाज व सरकार शिक्षण संस्थानों को लोगों तक नहीं ले गए, बल्कि लोगों को शिक्षण संस्थानों तक लेकर आए

'दो-तीन पीढ़ियो को झेलना पड़ेगा दंश' :राजनीतिक रणनीतिकार पीके ने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल का जब भी इतिहास लिखा जाएगा, तो उनके शासनकाल का सबसे काला अध्याय शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना होगा. प्रशांत किशोर ने यहां तक कह डाला कि अगर कल बिहार में एक अच्छी सरकार आ भी जाए तो सड़क टूटा है, तो सड़क बन जाएगा. नहर में पानी नहीं है, तो पानी आ जाएगा. बाढ़ की समस्या है तो उसका निदान कर लिया जाएगा. लेकिन दो-तीन पीढ़ियां इस ध्वस्त शिक्षा नीति के दौरान पढ़कर निकल गए. अब कितनी भी अच्छी सरकार आ जाए. उनका कुछ होने वाला नहीं है. उनको शिक्षित समाज के पीछे ही चलना पड़ेगा.

लोगों से मिलते प्रशांत किशोर

''हर गांव में शिक्षण संस्थान बनाने की बजाय ऐसी व्यवस्था बनाएं कि बच्चों को अच्छे शिक्षण संस्थानों तक पहुंचाया जाए. हमने जो ब्लू प्रिंट बनाया है उसमें प्रखंड स्तर पर 5 विश्वस्तरीय विद्यालय हों और बच्चों को लाने के लिए बस की सुविधा दी जाए. ऐसे में 15 मिनट से ज्यादा किसी भी बच्चे को स्कूल पहुंचने में नहीं लगेगा. 5 विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान बनाने में करीब 15 हजार करोड़ रुपए हर साल खर्च होगा. ये खर्च 5 साल में 75 हजार करोड़ रुपए होगा. वर्तमान में बिहार सरकार शिक्षा के बजट पर हर साल 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है. इसकी एक तिहाई राशि खर्च कर हर प्रखंड में नेतरहाट के स्तर का स्कूल बन जाएगा.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल :वहीं प्रशांत किशोर ने कहा कि लोगों को लगता है कि बिहार में शिक्षकों को गुणवत्ता ठीक नहीं है, स्कूलों में खिचड़ी बंट रही है. इसलिए शिक्षा व्यवस्था खराब है. इन दोनों बात में पूरी सच्चाई नहीं है. अगर सिर्फ खिचड़ी बांटने से शिक्षा व्यवस्था खराब हो जाती, तो कॉलेज में तो खिचड़ी नहीं बंट रही है. वहां पढ़ाई क्यों नहीं हो रही. अगर, नियोजित शिक्षकों की वजह से शिक्षा व्यवस्था खराब हो जाती, तो पटना साइंस कॉलेज, पटना कॉलेज, दरभंगा सीएम साइंस कॉलेज में पढ़ाई क्यों नहीं हो रही है.

गांव के लोगों को संबोधित करते प्रशांत किशोर.

''बिहार में बीते 32 वर्षों में शिक्षा व्यवस्था इसलिए नहीं सुधरी क्योंकि यहां समाज व सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा है ही नहीं. लोग भी यहां अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे, खिचड़ी खाने के लिए भेज रहे हैं. कॉलेज में बच्चों को पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे, डिग्री लेने के लिए भेज रहे हैं.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

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