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INDO-NEPAL: 'सुगौली संधि की समय-सीमा हुई पूरी, नेपाल वापस करे मिथिला का इलाका' - सीतामढ़ी गोलीकांड

विद्यापति सेवा संस्थान के प्रो. चंद्रशेखर झा ने कहा कि सन् 1816 में अंग्रेजों ने तत्कालीन मिथिला के 8 जिलों को नेपाल को दे दिया था. ये संधि 200 साल के लिए ही थी. इसे अब वापस कर देना चाहिए.

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Published : Jun 16, 2020, 7:31 AM IST

Updated : Jun 16, 2020, 10:30 AM IST

दरभंगाः भारत और नेपाल में सदियों से बेटी और रोटी का रिश्ता रहा है. लेकिन अब भारतीय इलाकों लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल के नक्शे में दिखाए जाने के बाद इनके संबंधों में खटास आती दिख रही है. हाल में सीतामढ़ी में नेपाली पुलिस की फायरिंग में भारतीय युवक की मौत से इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है.

बेटी और रोटी का संबंध
मिथिलांचल के लोगों ने भारत सरकार से सुगौली संधि के तहत सन् 1816 में नेपाल को दे दिए गए मिथिला के इलाके को वापस करने की मांग की है. भारत और नेपाल के संबंधों पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसकी वजह बताई.

देखें रिपोर्ट

'छद्म राष्ट्रवाद का सहारा'
मैथिली लोक संस्कृति मंच के प्रो. उदय शंकर मिश्र ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच बेटी और रोटी के रिश्तों में खटास की सबसे बड़ी वजह भारत और चीन का आपसी संबंध है. दूसरी वजह वहां के कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर की आपसी गुटबाजी और कमजोर पड़ती केपी शर्मा ओली की सरकार है. उन्होंने कहा कि जब शासक कमजोर पड़ते हैं तो वे सत्ता बचाने के लिए छद्म राष्ट्रवाद का सहारा लेते हैं. फिलहाल भारत के खिलाफ नेपाल की सरकार इसी छद्म राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर चीन के सहयोग से अपनी सत्ता बचा रही है.

मैथिली लोक संस्कृति मंच के प्रो. उदय शंकर मिश्र

200 साल के लिए संधि
विद्यापति सेवा संस्थान के प्रो. चंद्रशेखर झा 'बूढ़ा भाई' ने कहा कि हमारा बेटी और रोटी का संबंध नेपाल से रहा है. यह मैथिली भाषा और संस्कृति की वजह से अटूट रूप से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि सुगौली संधि के तहत सन् 1816 में अंग्रेजों ने तत्कालीन मिथिला के 8 जिलों को नेपाल को दे दिया था. ये संधि 200 साल के लिए ही थी.

विद्यापति सेवा संस्थान के प्रो. चंद्रशेखर झा

'चिंतित हैं मिथिलांचल के लोग'
चंद्रशेखर झा ने कहा कि पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने संसद में सुगौली संधि के 200 साल पूरे होने पर इसे भारत को वापस देने की बात उठाई थी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस पर विचार करे और हमारे मिथिला के इलाके को नेपाल से वापस ले. चंद्रशेखर झा ने कहा कि नेपाली पुलिस की गोली से भारत के युवक की मौत के बाद मधेश की जनता में भ्रम फैला कर संबंध में खटास लाई जा रही है. इससे मिथिलांचल लोग चिंतित है.

मिथिला लेखक संघ के चंद्रेश

'नेपाल से युद्ध जैसी स्थिति नहीं चाहता भारत'
मिथिला लेखक संघ के चंद्रेश ने कहा कि भारत सरकार की कमजोरी की वजह से नेपाल के मधेश में भारत के प्रति असंतोष बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार काठमांडू को ज्यादा तवज्जो देती है जबकि काठमांडू मधेश की जनता के साथ सौतेला व्यवहार करता है. पहाड़ी लोग अभी तक दिल से मधेसी लोगों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं. इसलिए मधेश में दिल्ली और काठमांडू दोनों के प्रति असंतोष है. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी गोलीकांड का भारत-नेपाल संबंधों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत नेपाल से कभी युद्ध जैसी स्थिति नहीं चाहता है.

'मायके-ससुराल नहीं जा पा रही बेटियां'
वहीं, मिथिला विकास संघ के सुजीत कुमार आचार्य ने कहा कि आज भी भारत और नेपाल के साथ बेटी और रोटी का संबंध जरूर है लेकिन अब कठिनाई होने लगी है. कोरोना संकट के कारण इन संबंधों में बाधा आ रही है. दोनों देशों की बेटियां मायके-ससुराल नहीं जा पा रही हैं. उन्होंने भारत और नेपाल के बीच बेरोकटोक आवागमन और संबंधों को जारी रखने की वकालत की और इस सोच को खारिज कर दिया कि दोनों देशों को सीमा को बंद कर आवागमन के लिए वीजा-पासपोर्ट अनिवार्य किया जाना चाहिए.

क्या है सुगौली संधि

  • सुगौली संधि 1814-16 के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच युद्ध के बाद लाई गई थी.
  • 02 दिसम्बर 1815 को नेपाल की ओर से राज गुरु गजराज मिश्र और ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ ने संधि पर हस्ताक्षर किए
  • 4 मार्च 1816 का इस पर मुहर लगी
  • संधि के अनुसार नेपाल के कुछ हिस्सों को ब्रिटिश भारत में शामिल करना, ब्रिटेन की सैन्य सेवा में गोरखाओं की भर्ती और काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि की नियुक्ति की अनुमति दी गई थी.
  • साथ ही इस संधि कहा गया था कि नेपाल किसी सेवा में अमेरिकी या यूरोपीय कर्मचारी की नियुक्ति नहीं कर सकता.
  • संधि में नेपाल ने अपने भूभाग का लगभग एक तिहाई हिस्सा गंवा दिया. जिसमें सिक्किम, कुमाऊं और गढ़वाल राजशाही और तराई के बहुत से क्षेत्र शामिल थे.
  • दिसम्बर 1923 में सुगौली संधि को शांति और मैत्री की संधि में बदल दिया गया. भारत के आजाद होने पर 1950 में भारत और नेपाल ने नई संधि पर हस्ताक्षर किया.
  • नेपाल ने 1805 में भारतीय रियासतों से कई इलाके हड़पकर विस्तार किया था. जो सुगौली संधि से भारत को वापस मिल गए.
  • वहीं, संधि के तहत भारत के मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा नेपाल के पास चला गया, जिसे नेपाल में पूर्वी तराई या मिथिला कहा जाता है.

इस संधि के तहत जो इलाके अब भारत में हैं उसपर नेपाल अपना दावा जता रहा है.

संधि की शर्तें

  • नेपाल के राजा संधि में लिखे गए प्रदेशों को ईस्ट इंडिया कंपनी को दे देंगे
  • युद्ध से पहले दोनो राष्ट्रों के बीच विवाद वाली सारी भूमि के दावों को नेपाल के राजा छोड़ देंगे
  • ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच शांति और मित्रता कायम रहेगी
Last Updated : Jun 16, 2020, 10:30 AM IST

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