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मिथिलांचलवासियों की मांग- 'मिथिला मखाना' के नाम से हो GI टैगिंग, 'बिहार मखाना' नाम स्वीकार नहीं

मखाना को 'बिहार मखाना' के नाम से जीआई टैगिंग देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मिथिलांचल वासी इससे खासे नाराज हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि मखाने को 'मिथिला मखाना' के नाम से पहचान दिलाई जाए.

मखाना किसान
मखाना किसान

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Published : Aug 27, 2020, 3:51 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 8:39 PM IST

दरभंगा:मिथिलांचल के विश्वप्रसिद्ध मखाने को अब जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिलने जा रहा है. मखाना की वजह से मिथिला की पूरी दुनिया में गौरवशाली पहचान है. पूर्णिया की एक संस्था 'मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ' ने 'बिहार मखाना' नाम से जीआई टैग देने के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस चेन्नई के पास आवेदन किया है. इसको लेकर बिहार कृषि विवि सबौर ने भी विभाग को एक पत्र लिखा है. लेकिन, जीआई टैग के लिए प्रस्तावित 'बिहार मखाना' नाम पर मिथिलांचल में विवाद खड़ा हो गया है.

दरभंगा के किसानों, व्यवसायियों और जन प्रतिनिधियों ने सरकार से 'बिहार मखाना' की जगह 'मिथिला मखाना' नाम से इसे जीआई टैग दिए जाने की मांग की है. लोगों का कहना है कि जीआई टैग राज्यों के नाम पर नहीं बल्कि भौगोलिक क्षेत्र विशेष के नाम पर दिया जाता है. यूपी के बनारस की साड़ी को बनारसी साड़ी और मगध के पान को मगही पान नाम से जीआई टैगिंग मिली है तो फिर मिथिला के मखाना को भी बिहार मखाना नहीं बल्कि मिथिला मखाना नाम मिलना चाहिए.

देखें रिपोर्ट.

लोगों ने ईटीवी भारत से माध्यम से रखी बात
ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने इस विषय में दरभंगा के मखाना किसानों, व्यवसायी संघ के प्रतिनिधि, जन प्रतिनिधि और मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक से बात कर उनकी राय जानी. इस दौरान मखाना किसान विक्रम कुमार ने कहा कि मखाना मिथिला की पहचान है.

मिथिलांचल का मशहूर मखाना

ये है मखाना किसानों की इच्छा
किसान विक्रम कुमार ने यह भी कहा कि जैसे दार्जिलिंग की चाय को बंगाल चाय नहीं बल्कि दार्जिलिंग चाय कहा जाता है. वैसे ही मिथिला के मखाना को भी बिहार मखाना नहीं बल्कि मिथिला मखाना नाम मिलना चाहिए. मखाना किसान महेंद्र सहनी ने कहा कि वे कई पीढ़ियों से मखाना की खेती करते आ रहे हैं. बिहार के मिथिलांचल में ही इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है इसलिए इसका नाम मिथिला मखाना होना चाहिए. अगर बिहार मखाना नाम होगा तो उन्हें दुख होगा.

मखाना की खेती करता किसान

'नाम से खो जाएगी मिथिला की पहचान'
प्रमंडलीय चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पवन सुरेका ने कहा कि मखाना मिथिलांचल का विशिष्ठ उत्पाद है. अगर मिथिला मखाना नाम मिलता है तो उससे बिहार की पहचान स्वतः होगी क्योंकि मिथिला बिहार में है. लेकिन अगर बिहार मखाना नाम मिलता है तो मखाना से मिथिला की पहचान खो जाएगी.

मखाना अनुसंधान केंद्र

विधायक की भी यही मांग
पवन सुरेका ने कहा कि चेंबर ऑफ कॉमर्स दूसरी संस्थाओं के साथ मिल कर इसके लिए आवाज उठाएगी. वे संबंधित विभाग को पत्र लिख कर आग्रह करेंगे कि मिथिला मखाना के नाम से इसे जीआई टैग मिलना चाहिए. दरभंगा नगर के विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मखाना विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है. इसी वजह से मिथिला को विश्व स्तरीय पहचान मिली है. वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे कि इसको मिथिला मखाना के नाम से ही जीआई टैग मिलनी चाहिए.

मखाना की खेती

क्या है जीआई टैग?
जीआई टैग क्या है और किसी उत्पाद को मिलने से क्या फायदा उस क्षेत्र को मिलता है, इस पर मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि जीआई टैग किसी क्षेत्र विशेष के प्रसिद्ध उत्पाद को उस क्षेत्र के नाम से पहचान दिलाने के लिए दिया जाता है. इससे उसकी ग्लोबल ब्रांडिंग भी होती है. इसके मिलने से उस उत्पाद के दाम में 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.

जीआई टैग से फायदा
जीआई टैग मिल जाने से किसानों और इससे जुड़े कारोबारियों को काफी आर्थिक लाभ मिलता है. उन्होंने बताया कि भारत में अब तक करीब 370 उत्पादों को जीआई टैग मिला है. इसमें बिहार का भागलपुरी सिल्क, कतरनी चावल, शाही लीची, जर्दालु आम और मगही पान जैसे कई उत्पाद शामिल हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया में मखाना की सबसे ज्यादा खेती मिथिलांचल में होती है इसलिए अगर मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैगिंग होती है तो इसकी ग्लोबल ब्रांडिंग होगी. इस क्षेत्र के किसानों और कारोबारियों को इसका आर्थिक लाभ भी मिलेगा.

Last Updated : Aug 27, 2020, 8:39 PM IST

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