दरभंगा:मिथिलांचल के विश्वप्रसिद्ध मखाने को अब जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिलने जा रहा है. मखाना की वजह से मिथिला की पूरी दुनिया में गौरवशाली पहचान है. पूर्णिया की एक संस्था 'मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ' ने 'बिहार मखाना' नाम से जीआई टैग देने के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस चेन्नई के पास आवेदन किया है. इसको लेकर बिहार कृषि विवि सबौर ने भी विभाग को एक पत्र लिखा है. लेकिन, जीआई टैग के लिए प्रस्तावित 'बिहार मखाना' नाम पर मिथिलांचल में विवाद खड़ा हो गया है.
दरभंगा के किसानों, व्यवसायियों और जन प्रतिनिधियों ने सरकार से 'बिहार मखाना' की जगह 'मिथिला मखाना' नाम से इसे जीआई टैग दिए जाने की मांग की है. लोगों का कहना है कि जीआई टैग राज्यों के नाम पर नहीं बल्कि भौगोलिक क्षेत्र विशेष के नाम पर दिया जाता है. यूपी के बनारस की साड़ी को बनारसी साड़ी और मगध के पान को मगही पान नाम से जीआई टैगिंग मिली है तो फिर मिथिला के मखाना को भी बिहार मखाना नहीं बल्कि मिथिला मखाना नाम मिलना चाहिए.
लोगों ने ईटीवी भारत से माध्यम से रखी बात
ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने इस विषय में दरभंगा के मखाना किसानों, व्यवसायी संघ के प्रतिनिधि, जन प्रतिनिधि और मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक से बात कर उनकी राय जानी. इस दौरान मखाना किसान विक्रम कुमार ने कहा कि मखाना मिथिला की पहचान है.
ये है मखाना किसानों की इच्छा
किसान विक्रम कुमार ने यह भी कहा कि जैसे दार्जिलिंग की चाय को बंगाल चाय नहीं बल्कि दार्जिलिंग चाय कहा जाता है. वैसे ही मिथिला के मखाना को भी बिहार मखाना नहीं बल्कि मिथिला मखाना नाम मिलना चाहिए. मखाना किसान महेंद्र सहनी ने कहा कि वे कई पीढ़ियों से मखाना की खेती करते आ रहे हैं. बिहार के मिथिलांचल में ही इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है इसलिए इसका नाम मिथिला मखाना होना चाहिए. अगर बिहार मखाना नाम होगा तो उन्हें दुख होगा.