दरभंगा:जाप प्रमुख पप्पू यादव दरभंगा मेडिकल कॉलेज में ही अपना इलाज करवाना चाह रहे हैं. कहीं और नहीं भेजे जाने के लिए उन्होंने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (DMCH) के अधीक्षक को एक पत्र लिखा है.
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'साजिश के तहत मुझे तंग किया जा रहा'
पप्पू यादव ने पत्र लिखकर कहा कि उनकी गंभीर बीमारी को देखते हुए कोरोना संकट के बीच फिलहाल अभी DMCH में ही डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाय. उन्होंने कहा कि सवा महीने पहले बड़ा ऑपरेशन हुआ है. ऐसे में राजनीतिक साजिश के तहत मुझे तंग किया जा रहा है.
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''4 दिनों से भूख हड़ताल पर रहने के कारण पप्पू यादव की सेहत बिगड़ती जा रही थी. डॉक्टरों ने कहा भोजन न करने से इम्युनिटी पावर घट रही है. किडनी में इंफेक्शन, सांस में तकलीफ, हार्ट की समस्या है. तत्काल भोजन ग्रहण करने का दबाव था, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका भूख हड़ताल तुड़वाया है और अभी उन्हें नेबोलाईज किया जा रहा. अभी वे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में हैं''- अजय जायसवाल, निजी सचिव
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'पटना भेजने की सिफारिश'
सूत्रों के अनुसार, दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) में पूर्व सांसद पप्पू यादव की तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल बोर्ड ने उन्हें पटना भेजने की सिफारिश की है. पप्पू यादव की मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि उनकी किडनी में स्टोन है. लिपिड प्रोफाइल भी बढ़ा हुआ है. ऐसी स्थिति में उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया गया है.
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14 दिनों की जेल हिरासत में पप्पू यादव
बता दें कि, पप्पू यादव फिलहाल 14 दिनों की जेल हिरासत में हैं. 32 साल पुराने अपहरण मामले में मधेपुरा कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. तबीयत खराब होने के कारण उन्हें सुपौल के वीरपर जेल से डरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गिरफ्तारी के बाद ही पप्पू यादव अपनी बामारियों का हवाला देते हुए बेहतर चिकित्सा सुविधा की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गये थे और प्रशासनिक पहल पर बुधवार शाम उन्होंने भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी.
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बिहार के एक भाजपा सांसद निधि से खरीदे गए दर्जनों एंबुलेंस के कोरोना महामारी के बावजूद इस्तेमाल नहीं किए जाने को उजागर कर हाल ही में सुर्खियों में आए पप्पू यादव को पटना पुलिस ने पिछले मंगलवार को उनके पटना स्थित आवास से लॉकडाउन नियमों के उल्लघंन के आरोप में हिरासत में लिया था. बाद में मधेपुरा जिले के कुमारखंड थाने में वर्ष 1989 में दर्ज एक मामले में फरार रहने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार करके मधेपुरा पुलिस को सौंप दिया गया था.