दरभंगा: भारत केप्रसिद्ध रक्षा वैज्ञानिक और देश को तेजस लड़ाकू विमान का तोहफा देने वाले पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्माका हार्टअटैक से निधन हो गया. सोमवार की देर रात लहेरियासराय स्थिति आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. परिजनों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव में किया जाएगा. उनके निधन के बाद श्रद्धांजलि देने पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं में सरकार और जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर की. क्योंकि भारत सरकार, बिहार सरकार या जिला प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि डॉ. वर्मा के आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा.
पैृतक गांव में बनेगा समाधि
डॉ. मानस बिहारी वर्मा के भतीजे मुकुल बिहारी वर्मा ने कहा कि उनके निधन से देश और बिहार को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि सोमवार की रात 11:30 बजे के आसपास उन्हें तकलीफ महसूस हुई और इसके बाद उनका हार्ट अटैक हुआ उसके थोड़ी ही देर बाद उनका निधन हो गया. उन्होंने कहा कि वे डॉ मानस बिहारी वर्मा का अंतिम संस्कार पैतृक गांव घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव में करेंगे और वहीं पर उनकी समाधि बनाई जाएगी.
'मिथिलांचल वासियों का हुआ अपमान'
वहीं, एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अजीत कुमार मिश्रा ने कहा कि डॉ.मानस बिहारी वर्मा के निधन से बड़ी क्षति हुई है. उन्होंने इस बात को लेकर रोष जताया कि दरभंगा जिले में 3 सांसद हैं 10 विधायक हैं और यहां के तीन मंत्री हैं लेकिन किसी ने भी डॉ. मानस बिहारी वर्मा के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि देने का काम नहीं किया. यहां तक कि डॉ. वर्मा के आवास से चंद कदम दूर दरभंगा डीएम और बड़े अधिकारियों का कार्यालय है लेकिन वहां से भी कोई उन्हें अंतिम विदाई देने नहीं आया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ डॉ. मानस बिहारी वर्मा का नहीं बल्कि मिथिलांचल के लोगों का भी अपमान है.
'पूरी उम्र किया समाज के लिए काम'
सामाजिक कार्यकर्ता नारायण जी चौधरी ने कहा कि डॉ. मानस बिहारी वर्मा अपने आखिरी समय तक समाज के लिए काम करते रहे. जल संकट पर काम कर रहे थे. साथ ही उन्होंने बाढ़ और सूखा की समस्या के निदान के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम किया और सरकार को उसकी रिपोर्ट सौंपी थी. सुदूर किरतपुर ब्लॉक की सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहे थे. डॉ. मानस बिहारी वर्मा के निधन से मिथिलांचल को अपूरणीय क्षति हुई है.