दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले नरगौना पैलेस को संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके लिए एलएनएमयू ने तैयारी शुरू कर दिया है. बता दें कि दरभंगा राज के आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह के नरगौना पैलेस स्थित शयन कक्ष में कई दुर्लभ वस्तुएं रखी हुई है.
महाराजा के शयन कक्ष में मौजूद महात्मा गांधी सदन का मॉडल 1 अक्टूबर 1962 को दरभंगा राज के आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह का निधन नरगौना पैलेस के जिस शयन कक्ष में हुआ था. उसे आम लोगों के लिए खोलने की योजना पर काम शुरू हो गया है. इस कमरे में उनकी निजी वस्तुएं, दुर्लभ पेंटिंग्स, ऐतिहासिक फोटो फ्रेम, पलंग, बिस्तर, सोफे, एयर कंडीशनर, कुछ भवनों के मॉडल समेत कई ऐतिहासिक चीजें रखी गयी है. उनके निधन के बाद अब तक महज तीन-चार बार ही इस कक्ष को खोला गया है. एलएनएमयू ने उस कक्ष की सफाई और तस्वीरों को सहेजने का काम शुरू कर दिया है.
महाराजा कामेश्वर सिंह की प्रतिमा दरभंगा के इतिहास से परिचित होंगे लोग
विवि के सीनेटर संतोष कुमार ने बताया कि इस कक्ष में कई ऐतिहासिक वस्तुएं हैं. यह कमरा काफी समय से बंद पड़ा था. विवि का मानना है कि इसे सहेज कर रखने और छात्र-छात्राओं समेत आम लोगों के लिए खोल देने से लोग दरभंगा के इतिहास से परिचित हो सकेंगे. इसलिए इसे साफ-सुथरा किया जा रहा है.
संग्रहालय के रूप में आम लोगों खुलेगा महाराजा का शयन कक्ष धरोहरों को संरक्षित करने के लिए हरिटेज सेल का गठन
विवि के रजिस्ट्रार कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि विवि में हाल ही में एक हेरिटेज सेल का गठन किया गया है. उसके माध्यम से यहां की धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा. महाराजा के कक्ष में कई बहुमूल्य धरोहर रखी हुई हैं. उन्हें साफ-सुथरा किया जा रहा है. आगे इस कक्ष को संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा.
आजादी के लड़ाई में दरभंगा राज का बहुत बड़ा योगदान
बता दें कि भारत की आजादी की लड़ाई से लेकर देश में शिक्षा, कला-संस्कृति, सहित्य और संगीत को बढ़ावा देने में दरभंगा राज का बहुत बड़ा योगदान रहा है. महाराजा कामेश्वर सिंह के कक्ष को संग्रहालय के रूप में आम लोगों के लिए खोलने से नयी पीढ़ी देश के लिए दरभंगा के योगदान को जान पाएगी.