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'विद्यापति हमारे आदर्श, लेकिन महाराजा कामेश्वर सिंह के नाम पर हो दरभंगा एयरपोर्ट का नाम' - Demand for Kirti Azad

पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद ने कहा कि कवि कोकिल विद्यापति हमारे समाज के लिए आदर्श हैं. विद्यापति के नाम पर कई संस्थाएं हैं और उनके स्मारक भी देश में कई जगहों पर हैं. लेकिन उनमें से शायद ही किसी संस्थान में दरभंगा के महाराजा का नाम जुड़ा हो. उन्होंने मांग की कि दरभंगा एयरपोर्ट का नाम महाराजा कामेश्वर सिंह के नाम पर किया जाना चाहिए.

mp kirti azad demand
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Published : Jan 7, 2021, 9:11 PM IST

दरभंगा: दरभंगा एयरपोर्ट पर करीब 6 दशक बाद पिछले साल 8 नवंबर से दोबारा सिविल उड़ानों की शुरुआत हुई थी. उसके बाद से ही एयरपोर्ट का नाम बदलने को लेकर राजनीति शुरू हो गई. हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को दरभंगा एयरपोर्ट का नाम बदलकर कवि कोकिल विद्यापति के नाम पर करने का लिखित आग्रह किया था. लेकिन इसके बाद दरभंगा में सीएम के इस प्रस्ताव पर विरोध शुरू हो गया है.

दरभंगा महाराज के नाम पर हो एयरपोर्ट का नामकरण

वहीं, समाज के कई वर्गों के लोगों ने दरभंगा एयरपोर्ट का नाम महाराजा कामेश्वर सिंह के नाम पर करने को लेकर धरना-प्रदर्शन किया है. इसी कड़ी में ताजा बयान दरभंगा के पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कीर्ति आजाद का आया है. कीर्ति आजाद ने दरभंगा एयरपोर्ट का नाम कवि विद्यापति के बजाए महाराजा कामेश्वर सिंह के नाम पर करने की मांग की है.

देखें पूरी रिपोर्ट

दरभंगा महाराज के नाम पर हो एयरपोर्ट का नामकरण
'कवि कोकिल विद्यापति हमारे समाज के लिए आदर्श हैं. उनके लिए हमेशा लोगों के मन में सम्मान है. विद्यापति के नाम पर कई संस्थाएं हैं और उनके स्मारक भी देश में कई जगहों पर हैं. वहीं, दरभंगा राज की ओर से न सिर्फ दरभंगा और बिहार बल्कि देशभर में कई संस्थाओं की स्थापना की गई है. लेकिन उनमें से शायद ही किसी संस्थान में दरभंगा के महाराजा का नाम जुड़ा हो. दरभंगा एयरपोर्ट का नाम महाराजा कामेश्वर सिंह के नाम पर किया जाना चाहिए.'- कीर्ति आजाद, पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता

दरभंगा एयरपोर्ट

दरभंगा एयरपोर्ट की स्थापना
बता दें कि दरभंगा एयरपोर्ट की स्थापना दरभंगा के आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1941 में की थी. इस एयरपोर्ट से न सिर्फ देश-विदेश के राजे-महाराजे और अंग्रेज अधिकारी आया-जाया करते थे, बल्कि आम लोगों के लिए भी यहां से कोलकाता तक फ्लाइट चलती थी. इसका लाभ तब का व्यापारी वर्ग उठाता था. 1962 में महाराजा कामेश्वर सिंह की मृत्यु के बाद यहां से सिविल उड़ानें बंद हो गई. उसके बाद इस एयरपोर्ट का भारत सरकार ने एयर फोर्स के लिए अधिग्रहण कर लिया.

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