दरभंगाः बिहार में लाउडस्पीकर विवाद (Minister Jivesh Mishra Statement on Loudspeaker Controversy) की इंट्री होने के बाद पक्ष और विपक्ष नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज है. इसी बीच दरभंगा पहुंचे बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर कहा कि 18 जुलाई 2005 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में साफ है कि 10 डेसीबेल से 75 डेसीबेल तक आवाज की सीमा का ही उपयोग कर सकते हैं. इस बातों पर सभी बुद्धिजीवियों को निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए. किसी भी सरकार को नागरिक के मौलिक अधिकार के प्रति वफादार होना चाहिए.
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'किसी भी धार्मिक ग्रंथ में यह नहीं लिखा हुआ है कि माइक लगाकर तुम मेरी इबादत करो या पूजा करो. तभी हम सुनेंगे और प्रसन्न होंगे. मानवता के हित में निश्चित तौर पर साउंड के उपयोग को कम करना चाहिए. अब तो ट्रक वाले भी अपनी गाड़ी के पीछे लिखवाते हैं, नो हॉर्न प्लीज. ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए पूरी दुनिया काम कर रही है. हम क्यों नहीं कर रहे हैं. इस चीज को धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए.'-जीवेश मिश्रा, श्रम संसाधन मंत्री
नेक इंसान बनकर प्राप्त होते हैं अल्लाहः मंत्री ने कहा कि ध्वनि विस्तारक यंत्र को लगाकर कर भगवान या अल्लाह को रिझाने के बजाय मन को शुद्ध करके काम करना चाहिए. कुरान भी कहता है कि नेक इंसान बनकर अल्लाह प्राप्त होते हैं. भगवान निर्मल मन से प्राप्त होते हैं ना कि लाउडस्पीकर लगाकर चिल्लाने से प्राप्त होते हैं. अगर लाउडस्पीकर लगाकर चिल्लाने से प्राप्त होते, तो सभी चिल्लाने वाले लोग जन्नत जा चुके होते. इस प्रकार की बात का मैं विरोधी हूं. उन्होंने कहा कि जिनके पास लाउडस्पीकर नहीं है, अगर वह अजान और नमाज पढ़ते हैं तो क्या अल्लाह उनकी पुकार को नहीं सुनते हैं क्या. मैं बुद्धिजीवियों से अपील करना चाहता हूं कि 18 जुलाई 2005 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में साफ है कि 10 डेसीबेल से 75 डेसीबेल तक आवाज की सीमा का ही उपयोग कर सकते हैं, इस बातों पर सभी बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए.
हमें सुनने और ना सुनने की भी आजादी हैः श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि अनुच्छेद 19 (1) क के तहत बोलने की आजादी है और माइक पर बोल सकते हैं. उसी अनुच्छेद 21 यह भी बताता है कि अगर आपको बोलने की आजादी है, तो हमें सुनने या ना सुनने की आजादी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि देश के सभी नागरिकों को शांति से रहने का अधिकार है. यह उनका मौलिक अधिकार है. किसी भी सरकार को नागरिक की मौलिक अधिकार के प्रति वफादार होना चाहिए.
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