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ग्राउंड रिपोर्ट: बागमती नदी में समा रही गरीबों की कुटिया, चुनावी शोर में दब गई पीड़ितों की आवाज

बिहार में बाढ़ ने दोबारा कहर मचाना शुरू कर दिया है. दरभंगा की बागमती नदी उफान पर है और दर्जनों घरों को लील चुकी है. लेकिन चुनाव के इस माहौल में सरकार और प्रशासन के पास वक्त कहां जो इन कटाव पीड़ितों की सूध ले, देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट....

ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : Oct 1, 2020, 10:52 AM IST

दरभंगाः जिले में अभी बाढ़ का पानी उतरे एक महीना भी नहीं हुआ कि कई इलाकों में बाढ़ ने दोबारा दस्तक दे दी. शहर से होकर बहनेवाली बागमती नदी फिर से उफान पर है. इस बार नदी के किनारे बसे लोगों पर कटाव की मार पड़ रही है.

नदी के कटाव से इस साल वार्ड नंबर 9, 10 और 23 के करीब 3 दर्जन कच्चे-पक्के मकान ध्वस्त हो चुके हैं. बेघर हो चुके लोग काफी कठिनाई में रह रहे हैं. उधर जिला प्रशासन और सरकार पूरी तरह से चुनावी मोड में है, जिसकी वजह से इन बाढ़ और कटाव पीड़ितों की सुधि लेनेवाला कोई नहीं है.

ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने बागमती नदी के कटाव वाले इलाकों में पहुंच कर लोगों की परेशानी जानी, देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट....

नदी में समाया घर

'कोई नहीं देख रहा है हमारी तकलीफ'
दरभंगा नगर निगम के वार्ड 10 के रत्नोपट्टी के मो. जमील ने ई टीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए कहा- 'इस इलाके में साल-दर-साल पानी आता है और यहां कटाव होता है. आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है. न तो सरकार और न ही नगर निगम से उन्हें कोई मदद मिलती है'

मो. जमील आगे बताते हैं-'वार्ड पार्षद कभी भी पूछने नहीं आते हैं. चुनाव नजदीक है तो लोग बार-बार वोट मांगने आ रहे हैं, लेकिन उनकी तकलीफ कोई नहीं देख रहा है'.

जानकारी देता कटाव पीड़ित

अबतक 50 मकान कट कर नदी में समाए
इसी वार्ड के मो. हीरा ने कहा कि पिछले 2 साल में नदी के किनारे के कम से कम 50 मकान कट कर नदी में समा चुके हैं. उन्होंने कहा कि वे लोग ऐसे ही डूब रहे हैं, लेकिन कोई पूछने तक नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग यही है कि सरकार इस कटाव को रोकने का स्थायी उपाय करे.

वार्ड 23 की गुंजा कुमारी अपने आधे कटे घर में खतरनाक स्थिति में परिवार के साथ रहती है. जो अपने आंसू रोक नहीं पाई और सिसकते हुए कहा- 'उनके पास यही जमीन है, जिस पर घर बना है. वे लोग बहुत गरीब हैं. बाहर से मिट्टी लाकर इसे भरते हैं, लेकिन पिछले दो साल में ये आधा कट चुका है. कब पूरा कट कर गिर जाएगा इसका डर हमेशा रहता है. जब सारा घर नदी में चला जाएगा तो वे लोग कहां रहेंगे इसी की फिक्र है.'

कटाव पीड़ित युवती

'तकलीफ बताने पर भड़कता है वार्ड पार्षद'
वहीं, कटाव पीड़ित जमीला खातून कहती हैं 'वे लोग नदी के किनारे से उजड़ रहे हैं. यहां से भाग रहे हैं. पूरे परिवार के साथ कब नदी की धारा में चले जाएंगे इसका कोई ठिकाना नहीं है. कोई पूछने नहीं आ रहा है. तकलीफ बताने पर वार्ड पार्षद भी नाराज हो जाता है.'

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'खतरनाक स्थिति में रह रहे हैं लोग'
स्थानीय रमण कुमार ने कहा कि यहां सभी लोग मज़दूर वर्ग के हैं. कोरोना की मार पड़ी तो रोजगार बंद हो गया. लोगों के घर में खाने की कमी हो गई. उसके बाद बाढ़ आ गई. आशियाना छोड़ लोग सड़क पर रहने को मजबूर हुए.

उन्होंने कहा कि ये लोग बेहद कठिनाई में रह रहे हैं. ये मोहल्ला नदी के तट पर बसा हुआ है. सभी का आधा घर कट गया और आधे में लोग खतरनाक स्थिति में रह रहे हैं. इस परेशानी का कोई स्थाई समाधान आज तक नहीं हुआ.

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