दरभंगा:ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में आनेवाले दरभंगा राज के ऐतिहासिक भवनों और उसकी धरोहरों का संरक्षण होगा. इसके लिए विश्वविद्यालय ने नई योजना बनाई है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए विश्वविद्यालय के नए कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि भले ही यह विश्वविद्यालय 50 साल पुराना हो, लेकिन इसके भवन 100 से 150 साल तक पुराने हैं और ये धरोहर हैं. उन्होंने कहा कि इनका संरक्षण किया जाएगा.
ऐतिहासिक भवनों और धरोहरों का संरक्षण
कुलपति ने कहा कि इतने ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण भवन भारत के कुछ गिने-चुने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में होंगे. उन्होंने कहा कि इतना बड़ा और खूबसूरत परिसर भी बहुत कम विश्वविद्यालयों के पास होगा. कुलपति ने इस बात पर अफसोस जताया ऐसे ऐतिहासिक महत्व के भवनों और धरोहरों के संरक्षण की कोई खास योजना नहीं बनाई गई. उन्होंने कहा की ऐतिहासिक भवनों और धरोहरों के आस-पास 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए था. अगर निर्माण होना भी चाहिए था तो धरोहर भवनों से मिलते-जुलते भवन बनने चाहिए थे. साथ ही कहा कि इस ऐतिहासिक कैंपस में भवन बनाने की कोई गाइडलाइन ही नहीं बनी है.
'विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक भवनों और इसकी धरोहरों के संरक्षण के लिए वह योजना बनाकर काम करेंगे. कैंपस में भवनों के निर्माण में खास सावधानी बरती जाएगी. साथ ही ऐतिहासिक भवनों के आस-पास कोई भी निर्माण कराने के पहले पुरातत्वविदों की सलाह ली जाएगी'.- प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
1972 में हुई थी स्थापना
बता दें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना तत्कालीन बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से अलग कर 1972 में हुई थी. पहले यह विश्वविद्यालय एक निजी भवन में चल रहा था. बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने दरभंगा राज के सेक्रेटेरिएट भवन और आस-पास के परिसर का अधिग्रहण कर लिया. इसके बाद विश्वविद्यालय इसमें शिफ्ट हो गया. वहीं, कुछ समय के बाद दरभंगा राज के ऐतिहासिक नरगौना पैलेस को भी विश्वविद्यालय में शामिल कर लिया गया.
खूबसूरत महलों में शुमार है नरगौना पैलेस
नरगौना पैलेस भारत के कुछ गिने-चुने खूबसूरत महलों में शुमार है जो भूकंपरोधी भवन है. 1937 के आस-पास बने इस भवन में 3 लिफ्ट, एयर कंडीशनर, गीजर जैसे कई ऐसी विलासिता के उपकरण लगे थे. जो उस समय के दुनिया के कई देशों के महलों में भी दुर्लभ थे. इस महल में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था हुआ करती थी. इस पूरे महल में बेशकीमती इटालियन मार्बल लगे हैं. लेकिन विवि के क्षेत्राधिकार में आने के बाद इसकी स्थिति भी अच्छी नहीं रह गई है.