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एक मात्र श्मशान भूमि जहां होते हैं सभी तरह के शुभ काम, माता को खोइछा भरने की भी परंपरा - मंदिर में खोइचा भरने की परंपरा

दरभंगा में स्थित श्यामा मंदिर में नवरात्रि के दिनों में खोइछा भरने की परंपरा है. मान्यता है कि खोइचा भरने और माता के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर चिता पर बनाई गई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

वलुवल

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Published : Oct 13, 2021, 11:44 AM IST

दरभंगा:आज नवरात्रिका आठवां (Eighth Day Of Navratri) दिन है. जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है. महाअष्टमी या दुर्गाष्टमी पर्व पर मां गौरी रूप की उपासना की जाती है. नवरात्रि के दिनों में लगभग सभी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. वहीं बिहार के दरभंगा जिले में स्थित श्यामा मंदिर (Shyama Temple In Darbhanga) में माता का खोइछा भरने की परंपरा है. जिसके लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं.

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महिलाएं हाथों में पूजा की थाल और नारियल लिए खाली पांव माता के मंदिर में प्रवेश करती हैं. जहां माता की प्रतिमा के सामने जमीन पर थाल रखकर पूजा करती हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि मां श्यामा सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी करती हैं. श्रद्धालु अपने अक्षत सुहाग, परिवार और समाज के कल्याण की कामना करते हैं. स्थानीय श्रद्धालु गुड़िया कुमारी ने कहा कि नवरात्रि में वे हर साल श्यामा मंदिर में माता का खोइछा भरने आती हैंं. उन्होंने कहा कि माता ने उनकी सभी मनोकामना पूरी की हैं.

देखें रिपोर्ट.

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बता दें कि यह दरभंगा महाराजाओं की श्मशान भूमि है. यहां एक दर्जन मंदिर हैं. ये सभी मंदिर किसी न किसी महाराजा या महारानी की चिता पर बनाई गई हैं. श्यामा मंदिर महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता पर बनाई गई है. यह संभवत देश का एक मात्र श्मशान भूमि है, जहां के मंदिरों में शादी-ब्याह से लेकर सभी शुभ काम होते हैं.

दरअसल दरभंगा में तंत्र विद्या की पुश्तैनी परंपरा रही है. कहा जाता है कि महाराजा तंत्र विद्या के साधक हुआ करते थे. इसलिए इस श्मशान भूमि में राज परिवार के लिए पूजा की परंपरा शुरू की गई थी. जिसके बाद आम लोगों के लिए खोल दिया गया. यहां बिहार के जिलों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं.


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