दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विवि का ऐतिहासिक राज मैदान उपेक्षा का शिकार है. इस मैदान में कभी मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मडम स्पोर्टिंग क्लब के खिलाड़ी फुटबॉल खेला करते थे. 34 साल पहले, 23 सितंबर 1985 को बिहार की तत्कालीन शिक्षा मंत्री उमा पांडेय ने यहां स्टेडियम बनाने के लिये शिलान्यास किया था. लेकिन, स्टेडियम तो दूर अब यह सर्कस-खेल तमाशे आयोजित करने की जगह बन गए हैं. बाकी समय में यह पशुओं का चारागाह बना रहता है.
व्यवसायिक उपयोगों का साधन बना ऐतिहासिक राज मैदान विवि का उदासीन रवैया
विवि के छात्र वैभव कुमार झा ने कहा कि यह दरभंगा के लिए दुखद है. विवि के द्वारा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है. यहां शिलान्यास के बाद आगे के काम पर ध्यान नहीं दिया गया है. वहीं विवि के सीनेटर गगन कुमार झा ने दु:ख प्रकट करते हुए कहा कि विवि ने इस ऐतिहासिक राज मैदान को व्यावसायिक उपयोग का साधन बना लिया है. यहां सर्कस-तमाशे लगते हैं. मैदान में भारी जलजमाव है. यहां स्टेडियम तो दूर, छात्र खेल भी नहीं सकते हैं. विवि का यह उदासीन रवैया सही नहीं है.
'खेलो इंडिया' के तहत स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव भेजा गया
इस मामले में जब विवि के रजिस्ट्रार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भारत सरकार की 'खेलो इंडिया' योजना के तहत राज मैदान को स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव पिछले महीने राजभवन को भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द यहां स्टेडियम बन जायेगा.