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सीएम लॉ कॉलेज में दांव पर छात्रों का भविष्य, 120 सीटों के बदले 320 सीटों पर लिया एडमिशन

दरभंगा के चंद्रधारी मिथिला लॉ कॉलेज में 120 सीटों के बदले 320 सीटों पर एडमिशन लिया जा रहा है. बता दें वर्ष 2005 में ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीएम लॉ कॉलेज को इसको लेकर एक चिट्ठी भेजी थी.

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Published : Jan 6, 2021, 4:54 PM IST

CM Law College of darbhanga
CM Law College of darbhanga

दरभंगा:बिहार में कुछ निजी संस्थानों में पैसे के लिए छात्रों का भविष्य दांव पर लगाने के कई मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन किसी सरकारी लॉ कॉलेज में कानून के जानकार लोग कानून के ही छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दें, तो इससे बड़ी विडंबना क्या होगी. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के चंद्रधारी मिथिला लॉ कॉलेज ने ऐसा ही एक कारनामा किया है.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने जारी किया था निर्देश
बता दें बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वर्ष 2005 में कॉलेज के संसाधनों का आकलन करने के बाद यहां एलएलबी कोर्स में छात्रों के लिए नामांकन की सीटें 320 से घटाकर 120 करने का निर्देश जारी किया था. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इस चिट्ठी को 2005 से लेकर 2020 तक दबाए रखा और यहां 120 के बजाए 320 सीटों पर हर साल बदस्तूर नामांकन होता रहा. इन 15 सालों में निर्धारित सीट के हिसाब से 1800 के बदले कुल 4800 छात्र-छात्राएं कानून की डिग्री लेकर यहां से निकले.

नामांकन से वंचित रह जाएंगे कई छात्र

उच्च स्तरीय कमेटी का गठन
इस साल जब विवि की ओर से कॉलेज की समीक्षा के दौरान बीसीआई की 15 साल पुरानी चिट्ठी सामने आ गई तो, कॉलेज और विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में कॉलेज में 2021 के सत्र से एलएलबी में 320 के बजाए 120 सीटों पर ही नामांकन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. अब अचानक से सीटें घटाए जाने पर एलएलबी में नामांकन लेने के इच्छुक छात्रों में रोष है. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति ने कॉलेज के प्रधानाचार्य के इस रवैये को गैर जिम्मेदाराना बताया है. उन्होंने मामले की जांच और कॉलेज के विकास के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है.

नामांकन से वंचित रह जाएंगे छात्र
कॉलेज के एक छात्र मनीष कुमार ने कहा कि सीएम लॉ कॉलेज में पिछले साल तक एलएलबी में 320 सीटों पर छात्रों का नामांकन हो रहा था. लेकिन इस साल अचानक से सीटों की संख्या 120 कर दी गई है. इससे इस बार कॉलेज का कटऑफ लिस्ट हाई होगा और बहुत से छात्र नामांकन से वंचित रह जाएंगे. उन्होंने कॉलेज से सीटें न घटाने की अपील की है.

देखें रिपोर्ट
"सीएम लॉ कॉलेज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का एकमात्र अंगीभूत कॉलेज है. यहां न सिर्फ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार के चार जिलों बल्कि आसपास के दूसरे कई जिलों के छात्र भी पढ़ने आते हैं. इस बार बड़ी संख्या में सीटों की कटौती से वैसे गरीब छात्रों का वकील बनने का सपना अधूरा रह जाएगा, जो दूर-दूर से यहां आकर पढ़ने की उम्मीद लगाए हुए हैं"-सुधीर कुमार यादव, लॉ कॉलेज अध्यक्ष, छात्र राजद

संसाधनों की कमी
सीएम लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ बदरे आलम खान ने स्वीकार किया कि वर्ष 2005 में ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीएम लॉ कॉलेज को एक चिट्ठी भेजी थी. जिसमें इसके संसाधनों की कमी को देखते हुए एलएलबी में छात्रों के नामांकन की सीटें 320 से घटाकर 120 करने का निर्देश दिया गया था.

"बीसीआई की यह चिट्ठी कहीं दब गई थी. जिसकी वजह से इस पर कार्रवाई नहीं हो सकी और 120 के बदले 320 सीटों पर ही 15 साल तक नामांकन होता रहा. इस बार जब यह चिट्ठी सामने आई तो, उन्होंने विश्वविद्यालय को इसकी सूचना दी और तत्काल प्रभाव से 2021 के नए सत्र से 120 सीटों पर ही नामांकन लेने की अधिसूचना जारी कर दी गई है. जब तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया एलएलबी की सीटें बढ़ाने की अनुमति नहीं देता है. तब तक 120 सीटों पर ही नामांकन होगा"- डॉ. बदरे आलम खान, प्रधानाचार्य, सीएम लॉ कॉलेज

छात्रों की डिग्री पर ना उठे सवाल
प्रधानाचार्य नेकहा कि ऐसा इसलिए किया गया है. ताकि कॉलेज और विश्वविद्यालय के साथ-साथ यहां एलएलबी में नामांकन लेने वाले छात्रों की डिग्री पर सवाल न उठे और उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े.

"कॉलेज की स्थिति, यहां चल रहे पाठ्यक्रमों और कॉलेज के विकास के लिए उन्होंने विवि की प्रति कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है. जिसमें लखनऊ विवि और पटना विवि के लॉ के एक्सपर्ट शिक्षक शामिल हैं. ये कमेटी 15 दिनों में रिपोर्ट देगी जिसके अनुसार वे आगे की कार्रवाई करेंगे"- प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू

जानकारी देते कुलपति

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प्रधानाचार्य के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने सीएम लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य की इस कार्यशैली को गैर जिम्मेवाराना करार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर कॉलेज के छात्रों की डिग्री पर कोई भी सवाल उठता है तो वे प्रधानाचार्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.

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