दरभंगाःबिहार के लाल किले के नाम से मशहूर दरभंगा राज किला पर 73वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा शान से फहराया गया. गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने 62 फीट ऊंचे किले पर ध्वजारोहण किया. इस अवसर पर इन युवाओं में जोश और खुशी की लहर थी.
झंडे के साथ दरभंगा के युवा उपेक्षित है ये किला
झंडा फहराने के बाद गौरवशाली दरभंगा के संतोष चौधरी ने बताया कि पिछले साल राज किले पर 56 साल के अंतराल पर पहली बार राष्ट्र ध्वज फहराया गया था. उन्होंने कहा कि ये किला दिल्ली के लाल किले से भी 10 फिट ऊंचा है. लेकिन ये किला उपेक्षित है. वे लोग इस पर ध्वजारोहण कर लोगों को अपनी विरासत के प्रति जागरूक कर रहे हैं.
युवाओं में दिखा जोश
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के गोपाल चौधरी ने कहा कि राज किले पर ध्वजारोहण कर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उनकी टीम ये काम आगे भी करती रहेगी. लेकिन दुख इस बात का है कि राज किला पर ध्वजारोहण के लिये न तो जिला प्रशासन और न ही जन प्रतिनिधि आगे आते हैं. उन्होंने अपील किया कि सभी लोगों को इस काम में युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए.
राज किला पर झंडा फहराने के बाद बयान देते युवा आखिरी बार 1962 में फहरा था तिरंगा
बता दें कि दरभंगा का राज किला मुगल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. इसमें फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है. इसका निर्माण महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1940 के दशक में शुरू किया था. देश की अजादी के बाद इसका निर्माण रुक गया. इस किले पर आखिरी बार महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1962 में तिरंगा फहराया था. उनके निधन के बाद इस पर ध्वजारोहण बंद हो गया था. यह किला उपेक्षित पड़ा है. सरकार भी इसके संरक्षण के प्रयास नहीं करती है.