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दरभंगा: जब रिश्तेदारों ने दिखायी बेरुखी, तो बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि

कोरोना महामारी के इस दौर में मानवीय रिश्तों की भी मौत हो रही है. बेटे अपने पिता की डेडबॉडी नहीं ले रहे हैं. तो कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो ऐसे कामों के लिए आगे आकर मिसाल पेश कर रहे हैं. दरभंगा की एक बेटी कोरोना से जान गंवाने वाले अपने पिता के अंतिम संस्‍कार को लेकर चर्चा में है. देखें पूरी रिपोर्ट

Corona Death in darbhanga
Corona Death in darbhanga

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Published : Apr 22, 2021, 11:26 AM IST

Updated : Apr 22, 2021, 3:41 PM IST

दरभंगा:एक बेटी द्वारा पिता को मुखाग्नि देने की यह घटना उन लोगों के लिए एक सीख है, जो मौत के बाद शव को छोड़ कर भाग रहे हैं. और फिर शव का दाह-संस्कार कोई और करता है. दरअसल, दरभंगा शहर के एक रिटायर्ड बैंककर्मी का कोरोनाकी वजह से डीएमसीएच (दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल) में निधन हो गया. उनका कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां ही हैं. इनमें से ही एक बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी.

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बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि
दरअसल, बुधवार को डीएमसीएच में रिटायर्ड बैंककर्मी की कोरोना से मौत हो गई थी. उन्हें बेटा नहीं था. दो बिटियां ही हैं. एक की शादी हो चुकी है. 62 वर्षीय बैंककर्मी कोरोना संक्रमित थे. पहले तो वे होम क्वारेंटाइन रहे. जब उनकी हालत बिगड़ी तो उन्हें डीएमसीएच के कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया. सात दिनों तक जिंदगी से जूझने के बाद उन्होंने बुधवार को दम तोड़ दिया. जब पिता का अंतिम संस्कार करने की बारी आई तो कोई रिश्तेदार सामने नहीं आया. तब उनकी बेटियों ने अंतिम संस्कार के लिए जिला प्रशासन से सहयोग की मांग की. इसके बाद जिला प्रशासन, नगर निगम और कबीर सेवा संस्था के लोगों ने शव अंत्येष्टि की तैयारी की और बेटियों ने पिता को अंतिम विदाई दी.

बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज

'पापा ने जिंदगी भर ख्याल रखा'
बता दें कि इनमें से भी एक बेटी कोरोना पॉजिटिव है. ऐसे में कबीर सेवा संस्थान और जिला प्रशासन के लोग अंतिम संस्कार के लिए आगे आए. उन्होंने जब शव को एंबुलेंस पर रखकर डीएमसीएच से श्मशान चलने की तैयारी की तो मृतक की दोनों बेटियां उनके साथ चल पड़ीं. एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.

पीपीई किट पहन बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि

'लोग लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. पिछले 10 अप्रैल को डीएमसीएच में कोरोना से मौत के बाद एक रेलकर्मी पिता का शव उनके बेटे ने लेने से लिखित रूप से इन्कार कर दिया था. ऐसे में रिटायर्ड बैंककर्मी की बेटियों ने बहुत साहस का काम किया है. ऐसी बेटियों का ये काम उन बेटों के लिए एक संदेश हैं जो पिता के कोरोना से मौत पर उनका शव लेने से मना कर देते हैं.' - नवीन सिन्हा, सदस्य, कबीर सेवा संस्थान

बेटियों ने पेश की मिसाल
वहीं बेटियों ने कहा कि 'पापा ने पाल-पोस कर बड़ा किया और काबिल बनाया. पापा ने कभी भी बेटे-बेटी में कोई फर्क नहीं रखा. उन्होंने मरते दम तक हमारा ख्याल रखा. ऐसे में उनके अंतिम सफर की बारी आई तो उन्हें अकेला कैसे छोड़ सकते हैं. मुखाग्नि दे रहे हैं और पिता का क्रिया-कर्म भी करेंगे.'

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Last Updated : Apr 22, 2021, 3:41 PM IST

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