दरभंगाः बिहार में आई भीषण बाढ़ ने सबसे ज्यादा कहर दरभंगा जिले में ढाया है. जिले को 18 में से 15 प्रखंडों की 20 लाख से अधिक आबादी इससे प्रभावित हुई है. बाढ़ से लोगों के घर डूब गए, वे सड़क पर आ गए. वहीं, किसानों को इससे सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. साथ ही इनके भविष्य का निवाला भी छिन गया.
धान की रोपनी
सदर प्रखंड के गढ़िया गांव में करीब 80 बीघा में धान की रोपनी हुई थी. बाढ़ के बाद पूरे गांव को मिलाकर मुश्किल से एक बीघा की फसल बच पाई है. लेकिन, किसानों का हौसला कम नहीं हुआ. अब बाढ़ का पानी निकल रहा है तो कई किसान दोबारा कर्ज लेकर महंगा बिचड़ा खरीद कर फिर से धान की रोपनी कर रहे हैं.
सब कुछ गंवाने का खतरा
किसानों को पता है कि ये एक तरह का जुआ है, जिसमें दोबारा सब कुछ गंवाने का खतरा है, लेकिन वे अपना धर्म खेती नहीं छोड़ेंगे. ईटीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने सदर प्रखंड के गढ़िया गांव में जाकर स्थिति का जायजा लिया और वहां के किसानों से बात की, जो दोबारा धान की रोपनी कर रहे हैं.
सरकार से मदद की उम्मीद
किसान महेंद्र यादव ने कहा कि बाढ़ से उनकी धान की फसल डूब कर बर्बाद हो गई है. अब फिर से वे कर्ज लेकर दोबारा समस्तीपुर जिले से 5 हजार रुपये का बिचड़ा खरीद कर लाए हैं और धान की रोपनी कर रहे हैं. किसान लालबाबू यादव ने कहा कि अब फसल होगी या नहीं होगी, ये कोई नहीं जानता है. फिर भी उम्मीद पर रोपनी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार से उम्मीद रहती है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि सरकार मदद करेगी.
'नहीं मिला फसल क्षति का मुआवजा'
लालबाबू यादव ने बताया कि इसके पहले बाढ़ हो या सूखा, आज तक कभी उन्हें फसल क्षति का मुआवजा नहीं मिला है. सरकार ने हाल ही में बाढ़ राहत की मदद के तौर पर 6 हजार की राशि जरूर दी है. वहीं, किसान पूरन यादव ने कहा कि महंगा बिचड़ा खरीद कर दोबारा धान की रोपनी कर रहे हैं. भगवान देंगे या नहीं देंगे, ये नहीं पता है लेकिन अपना कर्म खेती है जो वे कर रहे हैं.
अन्नदाताओं को नुकसान
बता दें कि बिहार के 14 जिले बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान अन्नदाताओं को हुआ है. ऐसे में वे सरकार से मदद की आस में नजरें टिकाए हैं. अब देखना होगा कि किसानों को सरकारी सहायता मिलती है या नहीं.