दरभंगाः बिहार के दरभंगा के प्रमुख उद्योगपति एवं समाजसेवी बद्री प्रसाद महनसरिया का निधन हो गया. 76 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. निधन के बाद बद्री प्रसाद ने ऐसा काम किया, जिससे वे फिर से दुनियां देख सकेंगे. दरअसल, बद्री प्रसाद महनसरिया की अंतिम इच्छा थी कि उनके मरने के बाद उनकी आंख को दान कर दिया जाए ताकि किसी अंधे लोगों की जिंदगी में उजाला आए.
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शुक्रवार को हुआ निधनः बद्री प्रसाद महनसरिया के तीन पुत्र हैं, जिन्होंने उनके निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया. अपने पिता का नेत्र दान (Eye donation in darbhanga) कर मिथिलांचल में इतिहास रचने का काम किया है. ऐसी अतुलनीय साहस इससे पहले मिथिलांचल में किसी ने नहीं दिखाई. बद्री प्रसाद महनसरिया का निधन शुक्रवार के सुबह 9 बजे हो गई. निधन के उपरांत उनके इक्छा के अनुसार उनके परिवार वालों ने DMCH के सहयोग से उनका सफल नेत्रदान कराया.
बद्री प्रसाद की थी इच्छाः दरअसल, बद्री प्रसाद महनसरिया अपने जीते जी यह इच्छा जताई थी कि मरणोपरांत उनका नेत्रदान कराया जाए. इससे भविष्य में दो नेत्रहीन व्यक्ति इस दुनिया को देख सके. इस इच्छा को उनके तीन पुत्र आनंद कुमार महंसरिया, राजा महनसरिया एवं अशोक महंसरिया ने पूरी शिद्दत के साथ पूरा किया. रेड क्रॉस दरभंगा के सचिव मनमोहन सरावगी के सहयोग एवं दधीचि देहदान समिति पटना की प्रेरणा से स्थानीय डीएमसीएच के नेत्र बैंक के डॉक्टरों द्वारा उनका नेत्रदान लिया गया.
"मन में इस बात का सुकून है कि पिताजी अब एक नहीं, दो शरीर में रहकर दुनिया को देखेंगे. वैसे दो व्यक्ति जो आंख नहीं होने के कारण दुनिया नहीं देख पा रहे थे. इस दुनिया को उनके पिताजी की नजरों से देखेंगे. पिताजी की इक्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी आंखों को दान कर दिया जाए. उनकी इस इच्छा को हमलोगों ने पूरा करने का काम किया है. आज हमें उनके सोच पर गर्व है."- बद्री प्रसाद महनसरिया के पुत्र
मिथिलांचल का पहला नेत्रदानःरेड क्रॉस सचिव मनमोहन ने कहा कि यह मिथिलांचल का पहला नेत्रदान है. तथा पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है. इस नेत्रदान से समाज के सभी वर्गों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि मरने के बाद जो हम इस शरीर को जला देते हैं या दफना देते हैं. अगर उनके कुछ अंग समाज को समर्पित की जाए तो न जाने कितने लोगों की जिंदगी बदल सकती है. आज का यह नेत्रदान समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है.
"यह नेत्रदान पूरे मिथिलांचल का पहला नेत्रदान है. इससे समाज के सभी वर्गों को प्रेरणा लेनी चाहिए. मरने के बाद शरीर को जला या दफना दिया जाता है, लेकिन शरीर के कुछ अंग को दान किया जाए तो किसी इंसान की जिंदगी बदल सकती है."-मनमोहन सरावगी, सचिव, रेड क्रॉस
उद्योगपति एवं समाजसेवी थे बद्री प्रसादः बता दें कि बद्री प्रसाद महंसरिया दरभंगा के एक प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी थे. उन्होंने जीते जी कई संस्थाओं के अध्यक्ष एवं संरक्षक पद को सुशोभित किया. उन्होंने बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन की दरभंगा इकाई एवं बाजार समिति व्यवसाई संघ के अध्यक्ष के रूप में समाज को एक नई दिशा प्रदान की. बद्री प्रसाद महंसरिया अपने पीछे पत्नी, तीन बेटों एक पुत्री को छोड़ गए हैं.