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दरभंगाः जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था चरमरायी - बिहार

डीएमसीएच में भी जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी सेवा सहित अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को ठप कर दिया है. वहीं वे इमरजेंसी के सामने अपनी मांगों के समर्थन को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं.

डीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर

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Published : Apr 8, 2019, 12:11 PM IST

दरभंगाः बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इस कारण हर जगह चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है.

डीएमसीएच में भी जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी सेवा सहित अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को ठप कर दिया है. वहीं वे इमरजेंसी के सामने अपनी मांगों के समर्थन को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि पीजी एमएसी 2019 में एम्स पटना से एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों को बिहार में राज्य की 50% सीट में शामिल नहीं किया जाए क्योंकि -

1. एम्स पटना केंद्रीय संस्थान है जो बिहार सरकार द्वारा संचालित नहीं होती है.
2. एम्स पटना से उत्तीर्ण छात्रों के लिए एम्स पटना की 50% पीजी सीट आरक्षित होती है.
3. एम्स पटना में बिहार राज्य से संचालित मेडिकल कॉलेज से उत्तीर्ण छात्रों की सीट आवंटित नहीं किया जाता है और ना ही आरक्षित है.
4. बिहार के अलावा किसी भी राज्य में स्थित एम्स के छात्रों को वहां के राज्य कोटे की सीट आवंटित नहीं की जाती है.

खाली अस्पताल

सीनियर रेसिडेंस की योग्यता बढ़ाई जाए
डॉक्टरों का कहना है कि सीनियर रेसिडेंस की योग्यता की अधिकतम उम्र सीमा 37 वर्ष से बढ़ाकर 45 वर्ष की जाए. क्योंकि दिल्ली में 40 वर्ष, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में 45 वर्ष है. आईजीआईएमएस के तर्ज पर पीजी के स्टाइपेंड को 50, 55 एवं 60 से बढ़ाकर 70, 80 एवं 90 हजार किया जाए.

डीएमसीएच

यूजी इंटर के स्टाइपेंड भी बढ़ाए जाएं
वहीं आईजीएमएस के तर्ज पर यूजी इंटर के स्टाइपेंड को 15 हजार से बढ़ाकर 24 हजार किया जाए. दूसरी तरफ डीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों के द्वारा हड़ताल पर चले जाने से दूर-दराज से आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. डीएमसीएच इलाज कराने पहुंचे परिजनों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह जाएं तो जाएं कहां.

जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

मरीज निजी अस्पताल पलायन को मजबूर
वहीं कुछ मरीज और उनके परिजन हड़ताल से निराश होकर वापस अपने घर लौट रहे हैं. कई मरीज इलाज के लिए निजी अस्पताल की ओर पलायन कर रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती है, तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे.

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