दरभंगा: अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे अतिथि सहायक प्राध्यापकों पर पटना में हुए लाठीचार्ज और 6 अतिथि सहायक प्राध्यापक को जेल में बंद रखने के खिलाफ शनिवार को काला दिवस मनाया गया. वहीं, बिहार प्रदेश विश्वविद्यालय अतिथि सहायक अध्यापक संघ के तत्वाधान में संयोजक डॉ. बच्चा कुमार रजक के नेतृत्व में शिक्षक दिवस के अवसर पर दरभंगा कमिश्नरी प्रतिवाद मार्च निकाला गया. इस अवसर पर प्राध्यापकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों के समर्थन में आवाज को बुलंद की.
विवि अतिथि प्राध्यापकों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन, शिक्षक दिवस पर निकाला गया प्रतिवाद मार्च - lathicharge on guest professors
सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों पर पटना में प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज और गिरफ्तारी को लेकर अतिथि शिक्षकों ने विरोध किया है. अतिथि शिक्षकों ने शनिवार को दरभंगा कमिश्नरी प्रतिवाद मार्च निकाला.
सौतेला व्यवहार का आरोप
अतिथि प्राध्यापिका डॉ. ज्योत्स्ना कुमारी ने कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सभी काला दिवस मना रहे है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने अभिभाषण में हमेशा कहा करते हैं कि मैं न्याय के साथ विकास करता हूं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे है तो हम शिक्षकों पर अन्याय क्यों कर रहे हैं. हम तो अपनी मांगों को उनके पास रखने गए थे. इस दौरान हमारी पिटाई की गई. हमारे साथियों को जेल में बंद किया गया. साथ ही कहा कि नितीश कुमार के शासनकाल में शिक्षकों को अपना हक मांगने के लिए लाठी खाना पड़ रहा है और जेल जाना पड़ रहा है. जबकि अतिथि सहायक अध्यापकों की नियुक्ति यूजीसी के मापदंड के अनुसार स्वीकृत और रिक्त पदों के अनुसार आरक्षण रोस्टर को पालन करते हुए हुई है.
काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन
जिला संयोजक डॉ. बच्चा रजक ने कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर अतिथि सहायक प्राध्यापक काला बिल्ला हाथों में बांध पर यह बताना चाहते हैं कि शिक्षकों के साथ सरकार अत्याचार और दमनकारी नीति अपनाना छोड़ दे. उन्होंने कहा कि अतिथि सहायक प्राध्यापक अपनी मांगों को लेकर पटना में मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री को मांग पत्र देने जा रहे थे. इसी क्रम में सरकार के इशारे पर पुलिस की ओर से लाठी चलाकर उन्हे बेरहमी से पीटा गया. जिसमें दर्जनों अध्यापक घायल हुए और 6 अतिथि सहायक अध्यापक को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जिन्हे अभी तक छोड़ा भी नहीं गया है.