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दरभंगाः संस्कृत विवि ने फिर टाला प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला - विचार

सभी प्राचार्य की नियुक्ति में फर्जीवाड़े को सही पाया और कार्रवाई की अनुशंसा की. उसके बाद ये मामला पटना हाइकोर्ट में चला गया. कोर्ट ने भी फर्जीवाड़े के मामले को सही पाया और विवि को 9 अप्रैल तक दोषी प्राचार्यों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश कुलपति को दिया था.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय

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Published : Mar 27, 2019, 10:53 AM IST

दरभंगाः कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में मंगलवार को सिंडिकेट की विशेष बैठक हुई. यह बैठक कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा की अध्यक्षता में की गयी. इसमें प्रधानाचार्यों की नियुक्ति मामले में सीडब्ल्यूजेसी में पारित हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई को लेकर चर्चा की गई.

बैठक में कोर्ट से एक महीना का और समय मांगने का निर्णय लिया गया है. इस बीच 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई कोर्ट में होनी है. जिसमें विवि प्रशासन को अब तक की गतिविधियों से कोर्ट को अवगत कराना है. वहीं कमेटी को 7 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

कुलपति ने विचार के लिए समय मांगा
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि सिंडिकेट ने प्राचार्यों से स्पष्टीकरण मांगा था. प्राचार्यों ने उसका जवाब दिया है. उस पर विचार करने के लिये एक महीने का समय चाहिये. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने प्राचार्यों पर कार्रवाई के लिये 9 अप्रैल की डेडलाइन दी थी. वे कोर्ट से एक महीने का समय देने की प्रार्थना करेंगे.

सिंडिकेट की विशेष बैठक

शिकायतकर्ता ने कुलपति पर लगाया आरोप
उधर, मामले के शिकायतकर्ता डॉ. समरेंद्र कुमार सुधांशु ने कहा कि कुलपति मामले में दोषी प्राचार्यों के दबाव में काम कर रहे हैं. कोर्ट ने विवि के कुलपति को 9 अप्रैल तक कार्रवाई का आदेश दिया था. कोर्ट को उस दिन मामले में अंतिम फैसला सुनाना है. अगर कुलपति मामले में टाल मटोल करते हैं, तो उनपर कोर्ट के अवमानना की कार्रवाई हो सकती है.

टला प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला

क्या था प्राचार्यों पर आरोप
बता दें कि इन 23 प्राचार्यों की नियुक्ति वर्ष 2010 में हुई थी. इस नियुक्ति में अनियमितता और पैसे के लेन देन की शिकायत छात्र संगठन एसएफआई के तत्कालीन जिलाध्यक्ष डॉ. समरेंद्र कुमार सुधांशु ने राजभवन और विवि से की थी. राजभवन ने इस मामले की जांच के लिये एक समिति बनायी थी.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय

9 अप्रैल तक दोषी प्राचार्यों के खिलाफ कार्रवाई
समिति ने सभी प्राचार्य की नियुक्ति में फर्जीवाड़े को सही पाया और कार्रवाई की अनुशंसा की. उसके बाद ये मामला पटना हाइकोर्ट में चला गया. कोर्ट ने भी फर्जीवाड़े के मामले को सही पाया और विवि को 9 अप्रैल तक दोषी प्राचार्यों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश कुलपति को दिया था.

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