दरभंगाः बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभाग लगातार काम कर रहा है, फिर भी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. दरभंगा जिले का एक ऐसा स्कूल है जो 17 साल से झोपड़ी में संचालित हो रहा है. कई बार मांग के बाद भी स्कूल को अपना भवन और भूमि नहीं मिल सकी. एक सेवानिवृत शिक्षक के दरवाजे पर स्कूल का संचालन किया जाता है.
दरभंगा प्राइमरी स्कूल का हाल खराबः मामला जिले के हनुमाननगर प्रखंड का है. साल 2006 में नेयाम छतौना पंचायत के उचौली गांव स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय का स्थापना हुआ. 17 साल बाद भी विद्यालय को अपनी जमीन व अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. इस स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक 93 बच्चे नामांकित हैं. बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से ऊपर रहती है. इसी झोपड़ी में लकड़ी के चूल्हा पर मध्याहन भोजन बनाया जाता है. मध्याह भोजन के चूल्हे का धुंआ, ठंड, गर्मी और बरसात हर परिस्थिति को झेलना मुश्किल है.
पड़ोस में पानी पीने जाना पड़ता है: स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रेशमी प्रवीण और साहिल ने बताया कि यहां बारिश होने पर क्लास रूम में घुस जाता है. एक ही कक्षा में 1 से पांच तक की पढ़ाई होती है और मिड-डे मील भी बनता है. भवन नहीं होने के कारण खुले आसमान के नीचे भोजन करना पड़ता है. स्कूल में शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है. पेयजल की भी सुविधा नहीं. पड़ोस के चपाकल पर पानी पीने के लिए जाना पड़ता है.
पेयजल और शौचालय नदादरः BPSC से नवनियुक्त शिक्षिका दर्शिता कुमारी ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था में तो पठन-पाठन में परेशानी होती है. शिक्षिका ने सरकार से कहा कि कम से कम स्कूल को एक भवन दें ताकि बच्चों की पढ़ाई अच्छी तरीके से हो सके. उन्होंने बताया कि स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर सहित शौचालय की सबसे बड़ी समस्या है. छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षिका को भी परेशानी होती है.