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केके पाठक सर! यहां 17 साल से झोपड़ी में होती है पढ़ाई, क्लास में ही ऑफिस और किचन - Primary School Darbhanga

Primary School Darbhanga: बिहार के दरभंगा में सरकारी स्कूल का हाल खराब है. स्थापना के 17 साल बीत गए लेकिन अब तक स्कूल को भवन नहीं मिला है. नौनिहाल झोपड़ी में अपना भविष्य गढ़ रहे हैं. एक ही क्लास में पढ़ाई के साथ साथ ऑफिस का संचालन और किचन चलता है. पढ़ें पूरी खबर.

दरभंगा में सरकारी स्कूल का हाल खराब
दरभंगा में सरकारी स्कूल का हाल खराब

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 7, 2024, 5:32 PM IST

दरभंगा में सरकारी स्कूल का हाल खराब

दरभंगाः बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभाग लगातार काम कर रहा है, फिर भी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. दरभंगा जिले का एक ऐसा स्कूल है जो 17 साल से झोपड़ी में संचालित हो रहा है. कई बार मांग के बाद भी स्कूल को अपना भवन और भूमि नहीं मिल सकी. एक सेवानिवृत शिक्षक के दरवाजे पर स्कूल का संचालन किया जाता है.

दरभंगा प्राइमरी स्कूल का हाल खराबः मामला जिले के हनुमाननगर प्रखंड का है. साल 2006 में नेयाम छतौना पंचायत के उचौली गांव स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय का स्थापना हुआ. 17 साल बाद भी विद्यालय को अपनी जमीन व अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. इस स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक 93 बच्चे नामांकित हैं. बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से ऊपर रहती है. इसी झोपड़ी में लकड़ी के चूल्हा पर मध्याहन भोजन बनाया जाता है. मध्याह भोजन के चूल्हे का धुंआ, ठंड, गर्मी और बरसात हर परिस्थिति को झेलना मुश्किल है.

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पड़ोस में पानी पीने जाना पड़ता है: स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रेशमी प्रवीण और साहिल ने बताया कि यहां बारिश होने पर क्लास रूम में घुस जाता है. एक ही कक्षा में 1 से पांच तक की पढ़ाई होती है और मिड-डे मील भी बनता है. भवन नहीं होने के कारण खुले आसमान के नीचे भोजन करना पड़ता है. स्कूल में शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है. पेयजल की भी सुविधा नहीं. पड़ोस के चपाकल पर पानी पीने के लिए जाना पड़ता है.

पेयजल और शौचालय नदादरः BPSC से नवनियुक्त शिक्षिका दर्शिता कुमारी ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था में तो पठन-पाठन में परेशानी होती है. शिक्षिका ने सरकार से कहा कि कम से कम स्कूल को एक भवन दें ताकि बच्चों की पढ़ाई अच्छी तरीके से हो सके. उन्होंने बताया कि स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर सहित शौचालय की सबसे बड़ी समस्या है. छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षिका को भी परेशानी होती है.

झोपड़ी में चलता स्कूल

बारिश में होती है परेशानीः स्कूल की प्रभारी प्राचार्य शबाना खातून ने कहा कि दिसंबर 2006 में विद्यालय की स्थापना हुई थी. इससे पहले दूसरे के दरवाजे पर स्कूल चला था. स्कूल में तीन नियोजित शिक्षिका और तीन BPSC नवनियुक्त शिक्षिका हैं. परेशानी का आलम यह है कि बरसात के दिनों में पानी आ जाता है. इससे काफी परेशानी होती है. स्कूल में शौचालय, पेयजल आदि की व्यवस्था नहीं है.

"स्कूल में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं है. 17 साल से झोपड़ी में स्कूल चलता है. 93 विद्यार्थी नामांकित हैं. उपस्थित 60 से 70 प्रतिशत प्रत्येक दिन रहती है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को बैठाने में होती है. बरसात के दिनों में बच्चों को घर भेजना पड़ता है. विभाग को कई बार लिखा गया है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है."-शबाना खातून, प्रभारी प्राचार्य

झोपड़ी में पढ़ातीं BPSC टीचर

विभाग की ओर से समाधान नहींः शिक्षा विभाग ने बीपीएससी टीआरई-1 से नियुक्त 3 शिक्षिकाओं का पदस्थापन किया है. 3 नियोजित शिक्षिका स्कूल के स्थापना काल से ही कार्यरत हैं. लेकिन स्कूल में मूलभूत सुविधा नहीं होने से शिक्षिकाएं और बच्चों को परेशानी होती है. जमीन मालिक की ओर से स्कूल को निःशुल्क स्थल पर एक झोपड़ीनुमा शेड बनाकर मुहैया कराया गया है. जमीन देने के लिए न तो सरकार दिलचस्पी दिखा रही है और ना ही कोई ग्रामीण तैयार हैं.

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