दरभंगा:दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले में एक बड़े प्राइवेट अस्पताल (Private hospitals in Darbhanga) ने इलाज के नाम पर लाखों का बिल बना दिया और मरीज की मौत भी हो गई. अब डीएम की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अस्पताल ने कोरोना मरीज के इलाज (COVID-19 treatment) के नाम पर लाखों रुपये ऐंठ लिए. प्रशासन ने अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए है.
ये भी पढ़ें :DMCH में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत, ढाई माह के मासूम ने कोरोना से तोड़ा दम
बताया जाता है कि दरभंगा जिले के बहेड़ी ब्लॉक के रजवाड़ा गांव के अजीत सिंह ने अपने 33 साल के बेटे दिलीप सिंह को पारस ग्लोबल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिलीप की तबीयत 4-5 मई को खराब हुई थी. उन्होंने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (DMCH) में कोरोना की जांच कराई तो वहां से रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बावजूद जब बेटे की तबीयत नहीं सुधरी तो पिता पटना ले गये, वहां भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो दरभंगा के पारस ग्लोबल अस्पताल (Paras Global Hospital) में भर्ती कराया. जहां लाखों के खर्च करने के बाद भी बेटे की जान नहीं बच पाई. हद तो तब हो गई जब अस्पताल ने बिल नहीं चुकाने पर बेटे के शव को बंधक बना लिया.
पटना के अस्पताल ने वसूले 9 लाख
पिता अजीत सिंह ने बताया कि पटना के यूनिवर्सल में 12 दिन में उनसे 9 लाख रुपए वसूल लिए. फिर भी बेटे की तबीयत नहीं सुधरी तो वे उसे दरभंगा लेकर आए और यहां पारस ग्लोबल अस्पताल में भर्ती कराया. उन्होंने बताया कि पारस अस्पताल में बेटे का इलाज चलता रहा और लाखों का बिल बनता रहा लेकिन बेटे की तबीयत नहीं सुधरी. यहां बेटा 9 दिनों तक भर्ती रहा और आखिरकार 29 मई की देर रात बेटे की मौत हो गई. सदमे में पड़े अजीत सिंह को कुछ सूझ नहीं रहा था क्योंकि उन्होंने अपने बेटे को बचाने के लिए अपनी एक-एक इंच जमीन बेच दी थी और घरारी की जमीन बेच कर भी पैसे चुकाए थे.
''पारस ग्लोबल अस्पताल ने पैसे के लिए मेरे बेटे का शव बंधक बना लिया. अस्पताल ने इलाज के बिल के 2 लाख 97 हज़ार से ज्यादा का बिल थमा दिया और पैसे चुकाए बिना शव देने से इनकार कर दिया. डॉक्टरों के हाथ-पांव जोड़ता रहा, लेकिन निर्दयी डॉक्टरों ने एक न सुनी और पैसे के लिए दुर्व्यवहार तक किया. पैसे के लिए धमकाया गया. पुलिस कर पकड़वाने की चेतावनी दी गई.''- अजीत सिंह, मृतक के पिता
फर्जी डीएम बनकर फोन कर धमकाया
अजीत सिंह ने बताया कि, अस्पताल के मैनेजर ने तो डीएम बनकर उन्हें फोन कर धमकाया. ऐसे में आखिरकार उन्होंने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाली स्वयंसेवी संस्था कबीर सेवा संस्थान से बेटे का शव दिलाने की गुहार लगाई. कबीर सेवा संस्थान ने दरभंगा जिला प्रशासन से इस मामले की शिकायत की. आखिरकार जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद दिलीप के शव को पारस ग्लोबल अस्पताल ने परिजनों को सौंप दिया.