दरभंगा:नववर्ष के पहले दिन मिथिलांचल के प्रसिद्ध मां श्यामा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ी है. मंदिर में सुबह से ही लोग पूजा कर वर्ष 2024 मंगलमय हो, इसकी मन्नतें मां श्यामा से मांग रहे हैं. भीड़ को देखते हुए मंदिर कमेटी के लोग व्यवस्था बनाने में लगे रहे.
नए साल में मां श्यामा के दरबार में भीड़: इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर ने केवल चिता पर बनी है, बल्कि मंदिर के अंदर हर तरह के मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. रमेश्वरी श्यामा मंदिर में तांत्रिक और वैदिक दोनों रीतियों से पूजा होती है. जबकि अन्य मदिरों में पूजा पद्धति तांत्रिक विधि पर आधारित है. किसी भी भक्त को मां श्यामा के दर्शन में परेशानी ना हो, इसका खास ख्याल रखा गया.
रमेश्वरी श्यामा मंदिर में केवल यज्ञ मंडप यज्ञ मंडप सिर्फ यहीं: यही कारण है कि यहां के हर मंदिर में बलि वेदी है, लेकिन यज्ञ मंडप केवल रमेश्वरी श्यामा मंदिर में ही बनाया गया है. इसलिए तांत्रिक और वैदिक दोनों संप्रदाय के लोगों की आस्था व विश्वास का यह मुख्य केंद्र है. यहां प्रतिवर्ष लाखों भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.
"नव वर्ष के अवसर पर मां श्यामा मंदिर आने का मकसद यही होता है कि जैसे हमारा पुराना वर्ष सुखमय तरीकों से बीता है. ठीक उसी प्रकार मां के आशीर्वाद से हम लोगों का नव वर्ष भी मंगलमय हो.चारों ओर खुशहाली हो."- पिंकू गिरी, श्रद्धालु
मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है पोखर अनुपम कलाकृति दर्शाती है अलग पहचान: मां श्यामा मंदिर में भारत के ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु आस्था के साथ यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं. इस मंदिर की कलाकृति अनुकरणीय है. गर्भ गृह के ठीक सामने श्रद्धालुओं की पूजा अर्चना के लिए बनाया गया स्थान भी अनुपम कलाकृति की अलग पहचान दर्शाती है.
मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है पोखर:इसके छत पर एक ओर जहां सूर्य, चंद्रमा, नवग्रह, पंच देवता आदि से सजाया गया है, वहीं दूसरी ओर पूरे मंदिर परिसर में सात मंदिरों से सुसज्जित यह दरभंगा राज परिवार का शमशान भूमि अपने आप में अनोखा प्रतीत होता है. इसके बीच में बना पोखर इस मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है.
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