दरभंगाः दुनिया भर में जिस कोरोना वायरस से 3 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है वैसे अनगिनत खतरनाक वायरस से लड़ने का तरीका भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में मौजूद है. आयुर्वेद भारतीयों के जीवन के 16 संस्कारों में शामिल है. ऐसा ही एक संस्कार है स्वर्ण प्राशन जो अब विलुप्त हो चुका है. दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय ने डाबर इंडिया लि. के साथ मिलकर इसे फिर से जिंदा किया है. यहां हर महीने के पुष्य नक्षत्र में 200 बच्चों को मुफ्त में स्वर्ण प्राशन कराने की शुरुआत हुई है. यह कार्यक्रम एक साल तक चलेगा.
दरभंगाः कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आयुर्वेद का सहारा, स्वर्ण प्राशन संस्कार को किया जा रहा जीवित
आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मधुसूदन द्विवेदी ने कहा कि आज सारी दुनिया कोरोना वायरस से डरी हुई है. लेकिन इससे बचने का उपाय हमारे आयुर्वेद में स्वर्ण प्राशन के रूप में मौजूद है.
आयुर्वेद में स्वर्ण प्राशन
आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मधुसूदन द्विवेदी ने कहा कि आज सारी दुनिया कोरोना वायरस से डरी हुई है. लेकिन इससे बचने का उपाय हमारे आयुर्वेद में स्वर्ण प्राशन के रूप में मौजूद है. यह हमारे जीवन के 16 संस्कारों में से एक है. इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वे कोरोना जैसी कई खतरनस्क बीमारियों से बचते हैं. इसलिए इस परंपरा को फिर से जीवित किया जा रहा है.
2400 बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराने का लक्ष्य
वहीं, डाबर इंडिया लि. के चिकित्सक डॉ. कमलेश ने कहा कि हर महीने के पुष्य नक्षत्र में 200 बच्चों को एक साल तक स्वर्ण प्राशन कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि कुल 2400 बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराने का लक्ष्य है. अगले महीने 30 अप्रैल को स्वर्ण प्राशन की तिथि निर्धारित की गई है.