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मिथिलांचल के प्रसिद्ध लोक पर्व मधुश्रावणी पर भी दिख रहा कोरोना का असर, घरों में पूजा कर रही हैं नवविवाहिताएं

मिथिलांचल में नवविवाहिताएं मधुश्रावणी पर्व बहुत ही उमंग-उत्साह के साथ मनाती है. सावन में 15 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में जिन लड़कियों की नई-नई शादी हुई होती है. वे इस व्रत को करती हैं. वे सुबह-सुबह उठ कर फुलवारी से बासी फूल चुनती हैं और सज-धज कर सखी-सहेलियों के साथ शिवालय जाती हैं.

दरभंगा
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Published : Jul 12, 2020, 4:37 PM IST

दरभंगा: कोरोना महामारी के कारण हर कोई परेशान है. इसकी वजह से मिथिलांचल में नवविवाहिताओं का प्रसिद्ध पर्व मधुश्रावणी भी इस बार फीका नजर आ रहा है. शिवालयों के बजाए अधिकतर नवविवाहिताएं अपने घरों में ही नाग देवता, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर अक्षत सुहाग का आशीर्वाद मांग रही हैं.

नवविवाहिताएं अक्षय सुहाग का मांगती हैं आशीर्वाद
मिथिलांचल में हर साल ये पर्व बहुत ही उमंग-उत्साह के साथ मनाया जाता है. सावन में 15 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में जिन लड़कियों की नई-नई शादी हुई होती है. वे इस व्रत को करती हैं. वे सुबह-सुबह उठ कर फुलवारी से बासी फूल चुनती हैं और सज-धज कर सखी-सहेलियों के साथ शिवालय जाती हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहां भगवान शंकर और पार्वती की पूजा करते हुए अक्षय सुहाग का आशीर्वाद मांगती हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर बंद पड़े हुए हैं. इसकी वजह से इस त्योहार का उत्साह मंद पड़ गया है. वहीं, नवविवाहिताएं अपने घरों में ही पूजा-अर्चना कर रही हैं.

नाग देवता और शिव-पार्वती की होती है पूजा
नवविवाहिता प्रियंका कुमारी ने बताया कि ये पर्व नवविवाहिताओं का है, जो 15 दिनों तक मनाया जाता है. इसमें दूध और लावा के साथ नाग देवता और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. इसमें जिन लड़कियों की नई-नई शादी हुई होती है, वे ही शामिल होती हैं. नवविवाहिताएं नाग देवता और शिव-पार्वती से अक्षय सुहाग का वरदान मांगती हैं.

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