दरभंगा :मिथिला में सुप्रसिद्ध साहित्यकारप्रो. गौरीशंकर प्रसाद श्रीवास्तव (Renowned litterateur in Mithila ) उर्फ आचार्य सोमदेव और मिथिला के लाल हरियाणा के पूर्व राज्यपाल धनिक लाल मंडल (Former Haryana Governor Dhanik Lal Mandal) के निधन से प्रबुद्ध लोगों के बीच शोक की लहर है. पंडित कमलाकांत झा ने कहा कि गौरीशंकर प्रसाद श्रीवास्तव को सहसमुखी चौक पर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 2002 में मिला था. उनका जन्म 24 फरवरी 1934 को हुआ था.
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मिथिला मैथिली के विकास का सच्चा हितैषी :साहित्य के क्षेत्र में आचार्य सोमदेव के नाम से विख्यात साहित्यकार प्रो. गौरीशंकर प्रसाद श्रीवास्तव ने ही मैथिली भाषा में पग पग पोखरि माछ मखान मधुर बोल मुस्की मुख पान विद्या वैभव शांति प्रतीक सरितांचल दरभंगा थिक लिखी जो आज भी काफी प्रचलित है. मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सोमदेव को मिलनसार स्वभाव वाला मिथिला मैथिली के विकास का सच्चा हितैषी और धनिक लाल मंडल को कमजोर वर्गों का मसीहा बताते हुए कहा कि दोनों शख्सियत की अनुपस्थिति में उनके कृतित्व हमेशा उनकी उपस्थिति का एहसास कराती रहेगी.
धनिक लाल कुशल प्रशासक एवं मृदुभाषी विद्वान नेता थे:विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने धनिक लाल मंडल के कृतित्व एवं व्यक्तित्व के सम्बंध में कहा कि धनिक लाल मंडल मधुबनी जिला के बेलहा गांव के रहने वाले थे. जेपी आंदोलन के दौरान उनके साथ जेल यात्रा करने वाले पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष एवं हरियाणा के पूर्व राज्यपाल धनिक लाल मंडल के निधन से देश ने एक कुशल राजनेता को खो दिया है. उन्होंने कहा कि समाजवादी आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार मिथिला के लाल धनिक लाल कुशल प्रशासक एवं मृदुभाषी विद्वान नेता थे.
मधुबनी के बेलहा में धनिक लाल का हुआ था जन्म :बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि धनिक लाल मंडल का जन्म 30 मार्च 1932 को बिहार के मधुबनी के बेलहा में हुआ था. मंडल 1967, 1969 और 1972 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए. वह 1967 में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. धनिक लाल मंडल 1977 में लोकसभा के लिए चुने गए और जनवरी 1980 तक गृह राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने सेवाएं दी. वे 1980 में दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए थे. जबकि आचार्य सोमदेव ने अपने जीवन काल में मैथिली साहित्य के क्षेत्र में, जो योगदान दिया है, वह अतुलनीय है.
मैथिली साहित्य के महान साधक थे आचार्य सोमदेव :कवि चन्द्रमणि झा ने आचार्य सोमदेव के अद्वितीय रचनाशिल्प की चर्चा करते हुए उन्हें मैथिली साहित्य का महान साधक बताया. सोमदेव एक ऐसे धरोहर रचनाकार थे जिनकी रचनाएं मैथिली भाषी लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेगी. इन दोनों शख्सियतों के निधन को भारतीय राजनीति एवं मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते कहा कि समाज के विकास की राजनीति करने वाले धनिक लाल मंडल एवं अर्थपूर्ण रचनाओं का सृजन करने वाले सोमदेव सदैव अमर रहेंगे.
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