दरभंगा: बिहार के दरभंगा (Darbhanga Airport) एयरपोर्ट के बाहर विमान से आए एक शव पर अधिकार को लेकर दो पक्षों के बीच भिड़ंत हो गई और काफी देर तक शव वहीं पड़ा रहा. इस दौरान काफी देर तक मौके पर अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही. जानकारी के मुताबिक यह शव सहरसा जिले के मोहम्मदपुर गांव के मो. नौशाद का था. जिसकी ब्रेन हेमरेज से मुंबई में सोमवार को मौत हो गई थी. परिजनों व ससुरालवालों ने साझा पैसा खर्च कर मृतक का शव मंगाया था. लेकिन शव पर कब्जे को लेकर एयरपोर्ट के (High Voltage Drama ) बाहर घंटों ड्रामा चला.
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जानकारी के मुताबिक मृतक के परिजनों और उसके ससुराल वालों ने साझा पैसा खर्च कर विमान में बुक कराकर और दरभंगा एयरपोर्ट तक शव मंगाया. लेकिन इसके बाद लड़के के ससुराल वाले उसे अपने घर बहेड़ी थाना क्षेत्र के मगरगाही गांव ले जाने पर अड़ गए जबकि लड़के के परिजन उसे अपने घर सहरसा जिले के मोहम्मदपुर ले जाना चाहते थे. इसी को लेकर काफी देर तक विवाद चला और आखिरकार लड़के के ससुराल वाले शव को जबरन एंबुलेंस पर लादकर अपने घर बहेड़ी थाना क्षेत्र के मगरगाही गांव लेकर चले गए.
मृतक के चचेरे भाई बाबुल ने बताया कि उसके भाई की मौत 2 दिन पहले मुंबई में हो गई थी. भाई के ससुराल वाले और घर वाले दोनों ने मिलकर उसके शव को फ्लाइट से बुक कराकर दरभंगा एयरपोर्ट तक मंगवाया. उसने बताया कि दोनों पक्षों के बीच यह तय हुआ था कि शव पहले लड़के के घर सहरसा जिले के मोहम्मदपुर जाएगा. उसके बाद मिट्टी देने के लिए उसकी ससुराल बहेड़ी थाना क्षेत्र के मगरगाही गांव ले जाया जाएगा.
मृतक के चचेरे भाई बाबुल ने लेकिन शव एयरपोर्ट पर आने के बाद मृतक के ससुराल वाले इस बात पर अड़ गए कि शव सहरसा जिले में उसके पैतृक गांव नहीं जाएगा बल्कि ससुराल के गांव जाएगा. वहीं पर मिट्टी दी जाएगी. उसने कहा कि उसके घर के लोग बस एक बार शव का दर्शन कर लेना चाहते हैं लेकिन मृतक के ससुराल वाले शव को जाने नहीं दे रहे हैं. उसने कहा कि इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि लड़के को मिट्टी उसके ससुराल में ही दी जाएगी इसके बावजूद ससुराल के लोग शव को मृतक के पैतृक घर नहीं ले जाने दिये.
वहीं, लड़के के ससुराल पक्ष के एक परिजन मोहम्मद जुनैद ने बताया कि मृतक नौशाद पिछले 13 साल से अपनी ससुराल बहेड़ी थाना क्षेत्र के मगरगाही गांव में रहता था. लड़के के बाप ने उसे घर से भगा दिया था. 2 साल तक कोरोना के दौरान अपनी ससुराल में बेरोजगार बैठा रहा और ससुराल के लोगों ने ही उसका खर्च उठाया. मृतक की पत्नी उसे अपने मायके में ही दफन करना चाहती है. जहां वह पिछले 13 साल से रह रहा था इसलिए वे लोग शव को लेकर चले गए हैं. मृतक के चार बच्चे हैं जिनका खर्च लड़के के ससुराल वाले ही चलाते हैं.
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