दरभंगा:2015 में सहरसा जिले के घोंघेपुर निवासी शंकर मुखिया अपने 12 वर्षीय मानसिक तौर पर बीमार बेटे ननकू को इलाज कराने दिल्ली ले जा रहे थे. उसी क्रम में उनकी आंख लग गयी और उनका बेटा इलाहाबाद से पहले किसी स्टेशन पर उतर गया. इलाहाबाद पहुंचने पर उन्होंने अपने बेटे की काफी खोजबीन की. लेकिन ननकू का कहीं पता नहीं चला. लेकिन बाल कल्याण समिति की पहल ने 5 साल के बाद एक बार फिर से घर में खुशी लौटाने का काम किया है.
''5 वर्ष पहले ये बच्चा रेल चाइल्ड लाइन द्वारा पटना बाल कल्याण समिति को सौंपा गया था. बच्चा मानसिक तौर पर बीमार होने के कारण सही नाम और पता नहीं बता पा रहा था. लेकिन उसने कई बार कुशेश्वरस्थान और बिथान गांव का नाम लिया''-वीरेंद्र कुमार झा, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
परिजनों को खोजने में जुटी थी समिति
25 जुलाई 2019 को पटना बाल कल्याण समिति ने दरभंगा बाल कल्याण समिति को ट्रांसफर कर दिया. उसके बाद बच्चे के माता पिता को खोजने की पूरी कानूनी प्रक्रिया की गयी. लेकिन किसी प्रकार पता नहीं चल सका. अंत में अब बच्चे को लीगल फ्री करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी.