दरभंगा(केवटी): प्रधानमंत्री के कुपोषण मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बाल विकास परियोजना केवटी-रनवे की सीडीपीओ राखी कुमारी ने ‘पोषण रथ’ रवाना किया. यह रथ प्रखंड क्षेत्र के सभी 26 पंचायतों में बारी-बारी से घूमकर ऑडियो के माध्यम से धात्री, गर्भवती, किशोरी बालिका और बच्चों को पोषण के प्रति जागरूक करेगा. यह राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम आगामी 30 सितंबर 2020 तक चलेगा.
मौके पर उपस्थित सीडीपीओ राखी कुमारी, महिला पर्यवेक्षक गुड़िया कुमारी, तनवीर फातमा, राधा देवी व परियोजना के अन्य कर्मियों ने रथ रवाना करने के संग मां को पूर्ण पोषण बच्चे का भविष्य रौशन, सही पोषण देश रौशन का नारा दिया और उपस्थित लोगों को पोषण का महत्व समझाया.
'स्वस्थ्य माता ही स्वस्थ्य परिवार की होती है नींव'
सीडीपीओ राखी कुमारी ने बताया कि पोषण रथ रवाना किया गया है, ताकि क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जा सकें. यह 1 सितंबर से 30 सितंबर तक पूरे माह मनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि केवटी के सभी 26 पंचायत में पोषण रथ घूम-घूम कर ऑडियो एवं पोस्टर के माध्यम से आमलोगों को जागरूक करेगा. उन्होंने प्रखंड के गर्भवती, धात्री, किशोरी बालिकाओं, छोटे बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल करने को कहा. उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ्य माता ही एक स्वस्थ्य परिवार की नींव होती है.
प्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि भारत कुपोषण मुक्त हो
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य है कि भारत कुपोषण मुक्त हो. उसकी ही प्राप्ति में हम सभी लगे हुए हैं. आगे उन्होंने बताया कि कुपोषण दूर करने के लिए विशेष रूप से विभाग की ओर से निर्धारित पोषण के छः सूत्रों को विशेष रूप से जन-जन तक पहुंचाना है. कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए पोषण अभियान के तहत महिला और बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से यह अभियान चलाया जा रहा है.
5 सूत्र
सीडीपीओ राखी कुमारी ने बताया कि कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए पोषण अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 5 सूत्र बताए गए हैं.
1. पहले सुनहरे 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है. जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से 2 साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है. इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल और सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है.
2. पौष्टिक आहार: शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला गाढ़ा दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. अगले 6 माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है. उसके बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है. इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है. घर का बना अर्द्ध ठोस भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है.
3. एनीमिया प्रबंधन: गर्भवती माता, किशोरिया एवं बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है. गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए. 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को सप्ताह में सरकार द्वारा दी जाने वाली आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए. 6 माह से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए.