बिहार

bihar

आंखों में डॉक्टर बनने का सपना संजोए प्रियंका, रोशनी लौटने का कर रही इंतजार

By

Published : Jun 29, 2020, 9:52 AM IST

Updated : Jul 2, 2020, 7:26 AM IST

अपनी नन्हीं आंखों में डॉक्चर बनने का सपना संजोए प्रियंका अपनी मां को भी देख पाने से मजबूर है. आंखों की रोशनी गंवा चुकी इस बच्ची की मदद के लिए माता-पिता ने कई जगह गुहार लगाई लेकिन किसी ने इनकी नहीं सुनी.

blind girl
blind girl

दरभंगा: बेटियों को पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं. लेकिन 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का भावनात्मक नारा बुलंद करने वाली सरकार का तंत्र इसको लेकर कितना संवेदनशील है इसका अंदाजा सिंहवाड़ा ब्लॉक के टेकटार गांव के गरीब परिवार की बेटी प्रियंका को देखकर लगाया जा सकता है.

नन्ही प्रियंका

नन्हींं उम्र में खो दी आंखों की रोशनी

13 साल की ये बेटी अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी है. मां-बाप बेटी के इलाज के लिए सरकार से गुहार लगाकर थक चुके हैं लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. प्रियंका आगे पढ़-लिख कर डॉक्टर बनने का सपना देख रही है लेकिन फिलहाल वह अपनी मां को भी देखने से मजबूर है.

सरकारी योजनाओं से महरूम है परिवार

तीन बेटियों और एक बेटे का ये परिवार 9 धुर जमीन पर बनी अपनी झोपड़ी में रहता है. हर दिन मजदूरी करके कमाना और खाना इसकी नियति है. किसी दिन मजदूरी का मौका न मिले तो मुश्किल बढ़ जाती है. सरकार की पीएम आवास योजना, शौचालय और हर घर नल का जल जैसी कल्याणकारी योजनाओं से भी ये लोग महरूम हैं.

अपनी मां और बहन के साथ प्रियंका

ADJ ने उठाया बीड़ा

अब जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव और दरभंगा सिविल कोर्ट के एडीजे दीपक कुमार ने इस बच्ची और परिवार की मदद का बीड़ा उठाया है तो परिवार को उम्मीद जगी है. इन्हें आशा है कि उनकी बेटी की आंखों की रोशनी लौटेगी और रोजी-रोटी का सहारा मिलेगा. प्रियंका को सोमवार को आंखों के इलाज के लिए डीएमसीएच ले जाया जाएगा. एडीजे ने पंचायत के मुखिया, सरपंच, प्रखंड के बीडीओ, अंचल के सीओ, स्थानीय पीएचसी और कमतौल थाने के थानाध्यक्ष से भी रिपोर्ट तलब की है.

झोपड़ी में होता है परिवार का गुजारा

डॉक्टर की फीस सुन छोड़ी आशा

प्रियंका ने बताया कि तीन साल पहले वो दूसरी कक्षा में पढ़ती थी तभी आंख खराब हो गई. उसके बाद पढ़ाई छूट गई. उसका कहना है कि वो आगे पढ़कर डॉक्टर बनना चाहती है लेकिन उसकी आंखें साथ नहीं देतीं. पिता मजदूरी करते हैं. इतने पैसे नहीं हैं कि इलाज कराया जा सके. प्रियंका की मां शिवकुमारी देवी ने कहा कि बेटी की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए डॉक्टर ने एक लाख रुपये मांगे थे. अक्सर भूखे रहने वाले लोग इतनी बड़ी रकम कहां से लाते. इसलिए हमने उम्मीद छोड़ दी.

देखें ये रिपोर्ट

सरपंच ने ADJ को भेजी रिपोर्ट

वहीं, टेकटार पंचायत की सरपंच सरिता देवी ने कहा कि एडीजे ने उनसे प्रियंका की स्थिति के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. वे एडीजे को रिपोर्ट भेज रही हैं. प्रियंका वास्तव में बहुत लाचार परिवार से है. उसके माता-पिता मजदूरी करते हैं. इसलिए उस परिवार की हर संभव सहायता की जानी चाहिए और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उस परिवार को मिलना चाहिए.

DMCH में होगी जांच

उधर, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पारा लीगल वॉलंटियर संतोष कुमार ठाकुर ने कहा कि प्राधिकार के सचिव एडीजे दीपक कुमार के आदेश पर उन्होंने बच्ची और उसके परिवार की स्थिति देखी है. इसकी रिपोर्ट एडीजे साहेब को भेज दी गई है. सोमवार को प्रियंका की आंखों का इलाज कराने के लिए उसे डीएमसीएच ले जाया जाएगा. प्राधिकार उसे हर संभव सरकारी सहायता दिलाने के लिए तत्पर है.

Last Updated : Jul 2, 2020, 7:26 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details